
नई दिल्ली, 29 सितम्बर:रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित आईसीजी मुख्यालय में 42वें भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) कमांडरों के सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस दौरान उन्होंने, बल की व्यावसायिकता और मानवीय सेवा की सराहना की और भारत के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्र तट और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की। उन्होंने कहा, विशिष्ट इकोनॉमिक जोन (ईईज़ेड) में गश्त करके, आईसीजी न केवल बाहरी खतरों को रोकता है, बल्कि अवैध मछली पकड़ने, मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, समुद्री प्रदूषण और अनियमित समुद्री गतिविधियों से भी निपटता है।
रक्षा मंत्री ने आईसीजी को राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया, जिसने अपनी शुरुआत में एक मामूली बेड़े से खुद को 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ एक दुर्जेय बल में बदल लिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आईसीजी ने लगातार नागरिकों का विश्वास अर्जित किया है और साथ ही अपनी व्यावसायिकता और मानवीय सेवा के लिए वैश्विक मान्यता भी अर्जित की है।आईसीजी महानिदेशक परमेश शिवमणि ने कहा, तीन दिवसीय सम्मेलन में उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों और हिंद महासागर क्षेत्र के बढ़ते सामरिक महत्व की पृष्ठभूमि में, सामरिक, परिचालनगत और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस अवसर पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार तथा अन्य मौजूद रहे।
आंतरिक और बाह्य सुरक्षा में भूमिका
राजनाथ सिंह ने बाह्य और आंतरिक सुरक्षा के समन्वय पर कार्य करने के आईसीजी के अद्वितीय अधिदेश पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां सशस्त्र बल बाहरी खतरों से बचाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अन्य एजेंसियां आंतरिक सुरक्षा का दायित्व संभालती हैं, वहीं आईसीजी दोनों क्षेत्रों में निर्बाध रूप से कार्य करता है। रक्षा मंत्री ने नौसेना, राज्य प्रशासन और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ बहु-एजेंसी समन्वय में आईसीजी की भूमिका की सराहना की और इसे इसकी सबसे बड़ी ताकत बताया।
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