नई दिल्ली, 3 जुलाई : अगर आप जंक फूड और चिकनाई युक्त भोजन का सेवन ज्यादा करते हैं या लंच और डिनर के बीच अक्सर लंबा अंतर रखते हैं या लंबे उपवास करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल, कभी-कभी दो भोजनों के बीच लंबे अंतर या लंबे उपवास पित्त संघटन का कारण होते हैं जिससे पत्थर बन जाते हैं। इसी तरह, महिलाओं में हार्मोन्स के कारण और विशेषकर गर्भावस्था के दौरान पथरी या पत्थरों के विकास होते हैं जो धीरे धीरे पित्ताशय में जमा हो जाते हैं।
दरअसल, दिल्ली की एक 32 वर्षीय महिला पिछले 3 से 4 महीनों से पेटदर्द की समस्या का सामना कर रही थी। महिला को अक्सर चिकनाई युक्त खाना खाने के बाद पेट में सूजन, फूलापन और भारीपन महसूस होता था जिसे वह गैस समझकर स्वयं ही मेडिकल स्टोर से दवा लेकर ठीक करने का निरंतर प्रयास कर रही थी। जब दर्द में आराम नहीं आया तो उसने फैमिली डॉक्टर की सलाह पर पेट का अल्ट्रासाउंड कराया और रिपोर्ट में पाया कि उसके पित्ताशय में पथरी है। इसी दौरान, उन्हें कई बार दायीं ऊपरी पेट में दर्द हुआ, जो पीठ और कंधों तक बहता था। दर्द के साथ अक्सर मतली और उल्टियां भी होती थीं।
इसके बाद महिला ने सर गंगाराम अस्पताल के लेपरोस्कोपिक और जनरल सर्जन डॉ. मनीष के गुप्ता से परामर्श किया। एक विस्तृत जांच के बाद महिला को पित्ताशय की पत्थरों के साथ की-होल सर्जरी ( लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी) के लिए ले जाया गया। उनके पेट में 10 मिमी और 5 मिमी के छेद किए गए और पित्ताशय को निकाल लिया गया। सर्जरी के बाद महिला के शरीर से निकाली गई गांठों को खोलने पर चौंकानेवाला दृश्य सामने आया। इसमें कम से कम 1500 से भी अधिक छोटे और बड़े पत्थर भरे हुए थे जो महिला को महीनों से परेशान कर रहे थे। महिला को सर्जरी के अगले दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब वह सामान्य आहार ले रही है और स्वस्थ है।
डॉ. मनीष के गुप्ता ने कहा, पित्ताशय या पित्त की थैली में पथरी होने की समस्या जीवनशैली में बदलाव के कारण बढ़ रही है। अक्सर लोगों को लगता है कि छोटे पत्थर एक सामान्य व्यक्ति के लिए कोई समस्या नहीं उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन इनके छोटे आकार के कारण, ये कभी-कभी सामान्य नली (सीबीडी) में गिर सकते हैं और पीलिया और पैंक्रिएटाइटिस का कारण बन सकते हैं। ये गंभीर समस्याएं हैं। उसी तरह, पित्ताशय में बड़ी पथरी, अगर बहुत लंबे समय तक बिना उपचार किए छोड़ दी गई है, तो पित्ताशय के कैंसर को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, कुछ रोगियों में खामोश पत्थर होते हैं और लक्षणहीन होते हैं, लेकिन यह इसका मतलब नहीं है कि वे किसी भी समस्या का कारण नहीं बन सकते। लेपरोस्कोपिक सर्जरी अब पित्ताशय पत्थर उपचार का गोल्ड स्टैंडर्ड है क्योंकि इसमें कोई चिकित्सा प्रबंधन नहीं है।