टीबी के 36 फीसदी मरीज मध्यम और उच्च वर्ग के लोग
टीबी के 36 फीसदी मरीज मध्यम और उच्च वर्ग के लोग
अमर सैनी
नोएडा। जिले में टीबी की बीमारी सिर्फ गरीबों को ही अपनी चपेट में नहीं ले रही है, बल्कि इस बीमारी से पीड़ित 36 फीसदी मरीज मध्यम और उच्च वर्ग से हैं। यह बीमारी बीमारी के बैक्टीरिया के संपर्क में आने से हो सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 8086 टीबी के मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों में से 2932 मरीज निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। टीबी का इलाज महंगा है, इसलिए मध्यम और उच्च वर्ग के लोग ही निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। कम आय वाले लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं। सामान्य टीबी के मरीजों को छह महीने के इलाज के लिए करीब एक लाख रुपये दवा और जांच पर खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, सरकारी अस्पतालों में यह पूरी तरह मुफ्त है। जिला टीबी नियंत्रण अधिकारी डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि टीबी की बीमारी अब सभी वर्गों में हो रही है। यह सही है कि इस बीमारी से प्रभावित होने वाले ज्यादातर लोग निम्न आय वर्ग से हैं, लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में उच्च वर्ग के लोग भी इस बीमारी की चपेट में हैं। ऐसे मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराने में सक्षम हैं। इसलिए इनका इलाज निजी अस्पतालों में कराया जाता है। इन मरीजों के बारे में हमें जानकारी दी जाती है।
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस की दवाएं सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलती हैं
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी के गंभीर मरीजों को बुलाया जाता है। इन मरीजों की दवाएं सरकारी अस्पतालों से ही लेनी होती हैं। ऐसे मरीजों की पुष्टि होने पर सभी निजी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को सूचित करते हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग मरीजों का इलाज शुरू करता है। इसकी दवा सामान्य टीबी से काफी महंगी होती है। स्वास्थ्य विभाग टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत इससे पीड़ित करीब 300 मरीजों का इलाज कर रहा है।
सरकार की ओर से पूरी दवाएं मिलने लगी हैं
टीबी की पूरी दवाएं सरकार की ओर से मिलने लगी हैं। हालांकि एक-दो दवाएं अभी भी कम मिल रही हैं। तीन महीने पहले सरकार ने टीबी की दवाएं देना बंद कर दिया था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने लोकल परचेज के जरिए दवाएं खरीदीं। इसलिए दवाइयों की कमी होने पर मरीजों को तीन दिन की दवाइयां दी जाती थीं। अब मरीजों को फिर से भरपूर मात्रा में दवाइयां मिलनी शुरू हो गई हैं। हालांकि, इससे पहले एमडीआर मरीजों के लिए दवाइयों की कमी नहीं थी। उनकी दवाइयां नियमित रूप से आ रही हैं।