सीता की खोज में व्याकुल प्रभु श्रीराम को देख दर्शक हुए भावुक
सीता की खोज में व्याकुल प्रभु श्रीराम को देख दर्शक हुए भावुक

अमर सैनी
नोएडा। सेक्टर-62 के रामलीला मैदान में रामलीला मंचन के सातवें दिन प्रभु श्री राम और लक्ष्मण पंचवटी पहुंचते हैं। वहां माता सीता को न पाकर दुखी होकर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण माता सीता की खोज में निकल पड़ते हैं। माता सीता की खोज में निकले व्याकुल प्रभु श्रीराम के आंखों से आंसू निकलता देख दर्शक भी भावुक हो उठते हैं। रास्ते में उन्हें घायल जटायु मिलते हैं। वह उन्हें सीता हरण का सारा वृतांत बताते हैं और श्रीराम की गोद में प्राण त्याग देते हैं। उसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण शबरी के आश्रम जाते हैं और प्रेम भक्ति में शबरी के जुठे बेर खाते हैं। शबरी से भेंट के उपरांत शबरी ने उन्हें दक्षिण दिशा का मार्ग बताया। प्रभु श्रीराम और सबरी के प्रेम भक्ति का कलाकारों ने बेहद मनमोहक तरीके से मंचन किया। इसको देखकर दर्शक प्रभु श्री राम के भक्ति में भावविभोर हो गए।
रामलीला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गोयल और महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने बताया कि प्रभु श्रीराम ने कबन्ध का भी उद्धार किया, जिन्होंने उन्हें वानरराज सुग्रीव से मित्रता करने का सुझाव दिया। सुग्रीव का निवास-स्थल खोजते हुए राम-लक्ष्मण जब ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे तो उन्हें देखकर वानरदल को उन पर संदेह हुआ। तब उन्होंने हनुमान से आग्रह किया कि पता लगाया जाए कि वे दोनों दिव्य पुरुष कौन हैं। इसके बाद हनुमान ने साधु का रूप धारण कर राम और लक्ष्मण से मुलाकात की। सुग्रीव से मित्रता होती है और सुग्रीव बाली की दुष्टता के बारे में बताता है। सुग्रीव और बाली का युद्ध होता हैं और भगवान राम बाली का वध कर देते हैं। बाली वध के उपरांत सुग्रीव का राजतिलक होता है। कुछ समय व्यतीत होने के बाद सीता की खोज के लिए सुग्रीव कोई प्रयास नहीं करते हैं। इससे श्रीराम और लक्ष्मण सुग्रीव पर क्रोधित होते हैं। सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है। खोजते-खोजते उनकी भेंट संपाती से होती है जो कि जटायु का भाई हैं। उन्होंने बताया कि सीता लंका में है और जो सौ योजन समुद्र को लांघ सकता हो वही वहां जा सकता है। समुद्र तट पर जाम्वन्त ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया। इसके बाद हनुमान जी भगवान श्रीराम का नाम सुमिरन कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं।
लंका दहन का दृश्य देख लगे प्रभु श्री राम के जयकारे
महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने बताया कि हनुमान जी जब लंका की ओर जा रहे होते हैं, तो उनको रास्ते में उन्हें सुरसा मिलती है। सुरसा अपना बदन सोलह योजन तक फैलाती है। हनुमान जी 32 योजन तक अपना बदन फैलाते हैं। जब सुरसा समझ जाती है तो हनुमान सर नवाकर आगे चलते हैं। हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचकर जहां सीता बैठी हुई हैं। उस पेड़ पर छुप जाते हैं और रामनाम की अंगूठी ऊपर से डालते हैं। जिसे देखकर सीता के मन में विषमय होता है। इसके बाद सीताजी से आज्ञा पाकर हनुमान वाटिका से फल खाने लगते हैं और पेड़ तोड़ने लगते हैं। जब बाग के रखवालों ने रावण को बताया तो उसने अक्षय कुमार को भेजा जिसका हनुमान जी वध कर देते हैं। मेघनाद द्वारा हनुमान को पकड़कर रावण के दरबार में लाया जाता है जहाँ हनुमान रावण से कहते हैं कि अब भी समय है अपने कुकर्मों के लिए श्रीराम से क्षमा मांग लो वह दया की मूर्ति हैं।निसंदेह तुमको क्षमा कर देंगे परन्तु रावण अपने अहंकार मे क्षमा मांगने से मना कर देता है वहीं रावण दरबार में सभी कहते हैं कि हनुमान को मार दिया जाये। लेकिन विभीषण के समझाने पर रावण ने कहा कि इसकी पूछ पर आग लगा दो। आग लगाने के बाद हनुमान जी एक महल से दूसरे महल पर जाते हैं और इस तरह पूरी लंका को जला देते हैं।
संगीतमय भजनों ने भक्तों का मन मोहा
सेक्टर 21ए स्थित नोएडा स्टेडियम में आयोजित रामलीला में सातवें दिन को प्रभु श्री राम द्वारा सबरी के भक्ति प्रेम में जुठे बेर को खाने के दृश्य और प्रभु श्री के द्वारा माता सीता की खोज में व्याकुल और विरह रूप का बहुत की मनमोहक और भावुक तरीके से मंचन किया गया। प्रभु राम के आंखों से निकलते आंसू को देख करके दर्शक प्रभु श्रीराम की भक्ति में भावविभोर हो गए। इस दृश्य को देख करके कई दर्शकों के भी आंखों में आंसू आ गए। वहीं भगवान श्री राम और हनुमान जी के मिलन के दृश्य को भी कलाकारों के द्वारा बहुत की शानदार तरीके से मंचन किया गया। रामलीला में आए संगीतकारों ने मधुर और आनंदित करने वाली भजन और संगीत से रामलीला में समा बांध दिया। दर्शक प्रभु श्री राम की भजन सुनकर भक्ति में झूमने और गुनगुनाने लगे। चारों तरफ प्रभु श्री राम और हनुमान जी के जयकारे गुंजने लगे।
प्रभु श्री राम और हनुमान मिलन ने दर्शकों को मोहा
सेक्टर 46 के रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला में सातवें दिन की लीला का वाचक पंडित कृष्ण स्वामी ने किया। इसमें सूर्पनखा का दंडक वन में प्रवेश और नारद जी से शूर्पणखा का संवाद, नारद जी का सुपनखा को लक्ष्मण जी के पास भेजना, लक्ष्मण जी के द्वारा शूर्पणखा के नाक कान काटना, खर दूषण का वध होगा, रावण दरबार, रावण का मारीच को लेकर सीता का हरण करना तथा जटायु का वध करना, सीता की खोज में प्रभु राम शबरी आश्रम में आना, तथा किष्किंधा पर्वत पर सुग्रीव व हनुमान जी से मिलन होने की लीला का मंचन देखने लायक था।
रामलीला में 10 अक्तूबर को रावण द्वारा विभीषण का त्याग, रामेश्वरम की स्थापना, रावण अंगद संवाद, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, लक्ष्मण मूर्छा, हनुमान का संजीवनी लाना, मूर्छा भंग होना आदि प्रसंगों का मंचन किया जाएगा।