Noida Nithari Case: निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आरोपी सुरेंद्र कोली की बरी किए जाने पर कायम, CBI और यूपी सरकार की अपील खारिज

Noida Nithari Case: निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आरोपी सुरेंद्र कोली की बरी किए जाने पर कायम, CBI और यूपी सरकार की अपील खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के बहुचर्चित और भयावह निठारी सीरियल हत्याकांड में आज एक अहम फैसला सुनाते हुए आरोपी सुरेंद्र कोली की बरी किए जाने को बरकरार रखा है। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों की ओर से दाखिल कुल 14 अपीलों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगा है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन भी शामिल थे, ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जिस समय निठारी गांव के नाले से बच्चों के सिर और अन्य मानव अवशेष बरामद किए गए थे, वे बरामदगी सुरेंद्र कोली के बयान के आधार पर नहीं हुई थी। इसलिए वह कानूनी दृष्टिकोण से सबूत नहीं माने जा सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दोहराया कि आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा दर्ज किया गया आरोपी का बयान तभी कानूनी रूप से वैध सबूत माना जा सकता है, जब उसे विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत दर्ज किया गया हो और उसके आधार पर की गई बरामदगी स्पष्ट रूप से उस बयान से जुड़ी हो। अदालत ने कहा कि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ, और ऐसे में कोली के खिलाफ बरामद अवशेषों को कोर्ट में पुख्ता सबूत नहीं माना जा सकता।
यह फैसला निठारी कांड से जुड़े सभी पीड़ित परिवारों के लिए एक गहरी निराशा लेकर आया है। साल 2006 में नोएडा के निठारी गांव में बच्चों के गायब होने की कड़ियां जब मानव अंगों की बरामदगी से जुड़ीं, तो यह मामला देशभर में सुर्खियों में आया था। सुरेंद्र कोली और उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और उन पर कई बच्चों की हत्या, बलात्कार और शवों के अंग काटने जैसे आरोप लगे थे। बाद में CBI ने कई मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी।
हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी और जांच में खामियों के चलते सुरेंद्र कोली को कुछ मामलों में बरी कर दिया था, जिसे चुनौती देते हुए CBI और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। अब शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद यह मामला लगभग न्यायिक रूप से समाप्ति की ओर बढ़ चला है।
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