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Noida: 15 वर्ष में एक भी मरीज भर्ती नहीं, न डिलीवरी — डॉक्टर की जगह फार्मासिस्ट करते हैं ओपीडी

Noida: 15 वर्ष में एक भी मरीज भर्ती नहीं, न डिलीवरी — डॉक्टर की जगह फार्मासिस्ट करते हैं ओपीडी

नोएडा। ग्रेटर नोएडा के बिलासपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) की स्थिति बेहद चिंताजनक है। लगभग एक लाख की आबादी इस केंद्र पर निर्भर है, लेकिन सुविधाओं की हालत पिछले 15 वर्षों से बदतर बनी हुई है। शासन की ओर से यहां केवल तीन स्वास्थ्य कर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें एक डॉक्टर भी शामिल है, लेकिन स्थिति यह है कि वर्ष 2010 से अब तक अस्पताल के रिकॉर्ड में न किसी मरीज को भर्ती किया गया है और न ही एक भी प्रसव (डिलीवरी) कराया गया है।

पड़ताल के दौरान सामने आया कि अस्पताल में तैनात चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर अनुराग अधिकतर समय अनुपस्थित रहते हैं। उनकी गैरमौजूदगी में फार्मासिस्ट ही मरीजों को देखते हैं और ओपीडी संभालते हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर बड़े सवाल खड़े करती है।

अस्पताल का परिसर और अंदरूनी वार्ड भी लापरवाही की कहानी बयां करते हैं। परिसर में चारों ओर गंदगी का अंबार है, बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं, जो जहरीले जीव-जंतुओं के खतरे को बढ़ाती हैं। वार्ड में मरीजों के लिए रखे बेड पर धूल जमी हुई मिली। महिला स्वास्थ्य कर्मी फील्ड में थीं और वार्ड ब्वॉय दादरी वेयरहाउस अस्पताल से दवाएं लेने गए थे, जिससे अस्पताल लगभग खाली पड़ा मिला।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि अस्पताल में न अल्ट्रासाउंड, न एक्स-रे, न प्रसव सुविधा है और न ही इमरजेंसी की उचित व्यवस्था। मजबूरी में लोग केवल आपात स्थिति में ही यहां आते हैं, अन्यथा उन्हें निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है।

ग्रामीणों और मरीजों की शिकायत है कि यदि इतनी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी, तो स्वास्थ्य केंद्र संचालित करने का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। यह मामला सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में चल रही खामियों का स्पष्ट उदाहरण है, जिस पर तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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