Noida: चाइल्ड पीजीआई को पानी रिसाव की समस्या से मिलेगी राहत, 27 करोड़ रुपये की मंजूरी

Noida: चाइल्ड पीजीआई को पानी रिसाव की समस्या से मिलेगी राहत, 27 करोड़ रुपये की मंजूरी
नोएडा। चाइल्ड पीजीआई अस्पताल में लंबे समय से चली आ रही बेसमेंट में पानी रिसाव की गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में अब बड़ा कदम उठाया गया है। शासन स्तर से भवन की मरम्मत और रिसाव रोकने के लिए 27 करोड़ रुपये का बजट मंजूर कर दिया गया है। संस्थान को अगले सप्ताह तक बजट स्वीकृति से संबंधित आधिकारिक पत्र प्राप्त होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे अस्पताल प्रशासन और मरीजों में राहत की भावना है, जो वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे थे।
चाइल्ड पीजीआई के बेसमेंट में पिछले कई वर्षों से पाइपलाइन खराबी के कारण जगह-जगह से पानी तेजी से रिसता रहा है। कई स्थानों पर पाइपों में लीकेज होने से पानी फव्वारे की तरह छिटकता है, जिससे लगातार बदबू, गंदगी और मच्छरों के पनपने जैसी स्थितियां बनी रहती हैं। अस्पताल की ओर से समय-समय पर एंटी-लार्वा दवाओं का छिड़काव किया गया, लेकिन यह समस्या का अस्थायी समाधान भर साबित हुआ। नमी और रिसाव के चलते भवन के स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचने का भी खतरा बढ़ गया था।
हाल ही में स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि रिसाव का पानी ऑपरेशन थिएटर तक पहुँच गया, जिसके चलते कई ऑपरेशन थिएटरों को सुरक्षा कारणों से अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा। इसका सीधा असर बच्चों की सर्जरी पर पड़ा और अस्पताल में सर्जिकल वेटिंग लिस्ट तेजी से बढ़ने लगी। सर्जरी की संख्या कम होने से अस्पताल के सर्जिकल ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शासन स्तर के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया। इसके बाद आईआईटी रुड़की की विशेषज्ञ टीम ने भवन का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया। टीम ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि बेसमेंट रिसाव रोकने और भवन को सुरक्षित करने के लिए व्यापक तकनीकी सुधार कार्य की आवश्यकता है, जिस पर लगभग 27 करोड़ रुपये का खर्च होगा। इस रिपोर्ट को आईआईटी रुड़की और निर्माण एजेंसी ने शासन को भेजा, जिसके आधार पर बजट स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी हुई।
चाइल्ड पीजीआई के निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि जल्द ही शासन से औपचारिक पत्र मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जैसे ही बजट उपलब्ध होगा, मरम्मत और सुधार कार्य तेजी से शुरू कर दिया जाएगा, ताकि मरीजों को सुरक्षित वातावरण और बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके।





