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नकली आयुर्वेदिक दवाएं बनाने की फैक्टरी पकड़ी

नकली आयुर्वेदिक दवाएं बनाने की फैक्टरी पकड़ी

अमर सैनी 

नोएडा। फेज-1 पुलिस ने नामी आयुर्वेदिक दवा कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर नकली दवाएं बनाने वाली फैक्टरी का खुलासा कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी भाई हैं। आरोपियों की फैक्टरी से भारी मात्रा में नकली दवाएं और अन्य सामान बरामद हुआ है। एक आरोपी कंपनी का पूर्व कर्मचारी है।
मुरादाबाद निवासी अजीजुल हसन ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह आयुर्वेदिक दवा कंपनी नमन इंडिया का प्रोपराइटर है। उनकी कंपनी टाइगर किंग प्रोडक्ट का उत्पादन करती है। कंपनी ट्रेडमार्क ऐक्ट व उत्तर प्रदेश आयुर्वैदिक विभाग के तहत रजिस्टर्ड है। अजीजुल हसन का आरोप है कि उनकी कंपनी में पूर्व में काम करने वाला अनीस अहमद नमन इंडिया में बनने वाले टाइगर किंग प्रोडक्ट आदि से मिलती-जुलती दवा को सेक्टर-10 में अवैध तरीके से बनाकर बेच रहा है। सूचना के आधार पर फेज वन थाने की पुलिस ने ड्रग निरीक्षक गौतमबुद्धनगर को साथ लेकर सेक्टर-10 स्थित फैक्टरी पर छापा मारा। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में टाइगर किंग कंपनी के प्रोडक्ट से मिलते-जुलते रैपर, होलोग्राम, बड़ी संख्या में दवाइयां और अन्य सामान बरामद हुआ। टाइगर किंग क्रीम, नाइट गोल्ड क्रीम, मैनपॉवर क्रीम, यूनिट टाइम एंड ऑयल, कंप्रेसर मशीन, इलेक्ट्रिक पैकेजिंग मशीन, सीलिंग मशीन भी यहां से मिली। पुलिस ने इसके बाद आरोपी अनीस अहमद और उसके भाई मोहम्मद शमी को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे टाइगर किंग प्रोडक्ट से मिलते-जुलते उत्पाद बनाकर उन्हें बाजार में बेच रहे थे। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी दवाई बनाने संबंधित कोई भी लाइसेंस नहीं दिखा पाए। दोनों आरोपियों के खिलाफ कॉपीराइट ऐक्ट के अलावा विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मुख्य आरोपी अनीस पूर्व में नमन इंडिया कंपनी का कर्मचारी था। वहीं से उसने दवा बनाने के तरीके की जानकारी ली।

शिकायतकर्ता का कहना है कि जब वह सेक्टर-10 स्थित आरोपियों की फैक्टरी में पहुंचा तो वहां कई महिलाओं समेत अन्य लोग दवा बनाने और पैकेजिंग के काम में लगे थे। हालांकि, पूछताछ करने के बाद पुलिस ने महिलाओं समेत अन्य कर्मचारियों को जाने दिया। पुलिस ने कंपनी में ताला लगा दिया है। सारे माल को कब्जे में ले लिया गया है।

लैपटॉप और मोबाइल की जांच शुरू

पुलिस ने नकली आयुर्वेदिक दवाई बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी बरामद किया। पुलिस ने अनीस और शमी के पास से लैपटॉप और मोबाइल भी बरामद किया। लैपटॉप और मोबाइल के डाटा का अध्ययन किया जा रहा है। पुलिस को आशंका है कि मोबाइल और लैपटॉप में उन ग्राहकों और थोक विक्रेता की जानकारी होगी, जो आरोपियों से नकली दवा खरीद रहे थे। अब तक नकली दवा कहां-कहां बिकी इसकी भी जानकारी डाटा मिलने के बाद मिल सकती है।

मांग कम होने पर हुआ शक:

पिछले पांच-छह साल से आरोपी नकली दवा बनाकर आसपास के जिलों में सप्लाई कर रहे थे। इसकी जानकारी असली कंपनी मालिक को नहीं थी। कुछ दिनों से दवा की मांग कम हो गई थी। कंपनी मालिक ने जब इसका संज्ञान लिया तो जानकारी मिली कि नोएडा में उनकी कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर नकली दवाएं बनाई जा रही हैं। इसके बाद कंपनी के असली मालिक ने नकली दवा के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इसके पीछे एक लड़के को रखा गया। लड़के ने जहां पर दवाई जा रही थीं, वहां से आरोपी के बारे में जानकारी जुटाई। इसके बाद उसने कपंनी में काम करने के बहाने से एंट्री कर ली। वहां से सारी जानकारी मूल कंपनी के मालिक को भेजने लगा। इसके बाद कंपनी मालिक और मैनेजर ने मौके पर खुद जाकर पड़ताल की।

कम दाम में दवा बेचते थे आरोपी

शिकायतकर्ता का कहना है कि गिरफ्त में आए आरोपी कम दाम में दवा बाजार में सप्लाई करते थे। इससे उनकी कंपनी को राजस्व की हानि तो हो ही रही थी। कंपनी की छवि भी खराब हो रही थी। नकली दवा बनाते समय मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता था और घटिया कच्चे माल का इस्तेमाल किया जाता था। संभावना जताई जा रही है कि आरोपियों ने नामी कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर अबतक करोड़ों रुपये की दवा बेची होगी।

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