राज्यगुजरातराज्य

‘विश्व सर्प दिवस’ : गुजरात में लगभग 50 से अधिक प्रजातियों के सांप मौजूद

सांप प्रकृति की अद्भुत रचना हैं, जो पर्यावरण की सुंदरता और संतुलन का...

Gujarat News : (अभिषेक बारड) सांप प्रकृति की अद्भुत रचना हैं, जो पर्यावरण की सुंदरता और संतुलन का एक अभिन्न हिस्सा हैं। प्रकृति की आहार श्रृंखला के अनुसार, सांप छोटे जीव-जंतुओं का भक्षण कर उनकी संख्या को नियंत्रित रखते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हीं पारिस्थितिकीय महत्त्वों को उजागर करने और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 16 जुलाई को ‘विश्व सर्प दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर पर राज्य में वन विभाग और विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाओं के सहयोग से सर्प संरक्षण एवं जनजागृति हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

गुजरात में लगभग 50 से अधिक प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में तथा वन-पर्यावरण मंत्री मूलुभाई बेरा और राज्य मंत्री मुकेश पटेल के नेतृत्व में वन विभाग द्वारा सर्प संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अंतर्गत गांधीनगर के इंद्रोड़ा नेचर पार्क और जूनागढ़ के सक्करबाग चिड़ियाघर स्थित सर्पगृहों में वन विभाग के कर्मचारी लाखों आगंतुकों को नाग, करैत, फुरसे और घोणस जैसे विषैले तथा अजगर, धामन, भंभोड़ी, आंधळी चाकळ जैसे गैर-विषैले सांपों की पहचान कराते हैं और उनका महत्त्व समझाते हैं।

सर्पदंश की चिकित्सा हेतु राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों में एंटी-वेनम की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सर्प विष का उपयोग दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है, जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं। इसी संदर्भ में वलसाड जिले के धरमपुर में ‘स्नेक रिसर्च सेंटर’ संचालित किया गया है, जहां सर्प विष से एंटी-वेनम और अन्य औषधियों के निर्माण हेतु शोध किए जा रहे हैं।

सांपों की रक्षा करना अर्थात पर्यावरण की रक्षा करना है। इसे साकार करने के लिए वन विभाग द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्प बचाव दल गठित किए गए हैं। ये दल सांपों को सुरक्षित रूप से पकड़कर उनके प्राकृतिक आवास में पुनः छोड़ते हैं। इसी क्रम में वन विभाग संचालित वाइल्डलाइफ केयर सेंटर के माध्यम से 01 जुलाई 2024 से 30 जून 2025 के बीच अहमदाबाद शहरी क्षेत्र में लगभग 492 सांपों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा गया है।

इसके अतिरिक्त, राज्य में कई सेवाभावी संस्थाएं भी निःस्वार्थ भाव से जीवदया के इस कार्य में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। सर्प संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से सांप पकड़ने हेतु वन विभाग द्वारा प्रशिक्षण देकर प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता है।

यह उल्लेखनीय है कि सरीसृप वर्ग में आने वाले सांपों की विश्वभर में लगभग 3,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – विषैले और गैर-विषैले।

विषैले सांपों में नाग (इंडियन कोबरा), करैत (कॉमन क्रेट), फुरसे (रसेल वाइपर) और घोणस (सॉ-स्केल्ड वाइपर) शामिल हैं, जो सामान्यतः शिकार अथवा आत्मरक्षा के लिए ही विष या डंक का प्रयोग करते हैं। वहीं गैर-विषैले सांपों में अजगर, धामन, भंभोड़ी और आंधळी चाकळ प्रमुख हैं।

सर्पदंश से बचाव के लिए दिशा-निर्देश:

क्या करें:

यदि सामने सांप आ जाए तो शांत रहें और कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें

वन विभाग की हेल्पलाइन 1926 पर संपर्क करें

यदि किसी को डंक लगे तो प्रभावित अंग को स्थिर रखें

तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर चिकित्सकीय उपचार लें

क्या न करें:

घबराएं नहीं

सांप को छेड़ें या परेशान न करें

डंक लगे स्थान को काटें या चूसने का प्रयास न करें

झाड़-फूंक या घरेलू उपचारों पर भरोसा न करें

सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास न करें —
(‘वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ के तहत सांप को मारना या नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है)

Related Articles

Back to top button