
नई दिल्ली, 24 जुलाई : योग का निरंतर अभ्यास टाइप 2 मधुमेह के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों में इसके खतरे को 40% तक कम कर सकता है। इस आशय का दावा करने वाली अध्ययन रिपोर्ट केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जो स्वयं एक प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ हैं, ने वीरवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को सौंपी।
यह रिपोर्ट, साक्ष्य-आधारित दस्तावेजीकरण द्वारा समर्थित, रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया द्वारा इसके पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस.वी. मधु के नेतृत्व में तैयार की गई है, जो वर्तमान में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। इसका उद्देश्य टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन के बजाय, इसकी रोकथाम में योग की भूमिका का पता लगाना है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह ऐसे पहले प्रयासों में से एक है जो योग के माध्यम से टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम का वैज्ञानिक रूप से दस्तावेजीकरण करने का प्रयास करता है। रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, नियमित रूप से योग का अभ्यास करने वाले संभावित व्यक्तियों में टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना में 40% तक की कमी देखी गई है। अध्ययन में कुछ ऐसे योग आसनों का भी उल्लेख किया गया है जो इसके लिए उपयोगी पाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि पहले के अधिकांश अध्ययनों में पहले से ही मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिसमें यह जांच की गई थी कि योग उनकी दवा या इंसुलिन पर निर्भरता कैसे कम कर सकता है। इसके विपरीत, यह अध्ययन विशेष रूप से उन व्यक्तियों पर केंद्रित है जिन्हें इस बीमारी के विकसित होने का खतरा है, जैसे कि जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है, और क्या इसकी शुरुआत को पूरी तरह से रोका जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि यह अध्ययन आरएसएसडीआई के तत्वावधान में किया गया है, जो भारत के मधुमेह शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के सबसे बड़े और सबसे मान्यता प्राप्त निकायों में से एक है। उन्होंने बताया, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भी इसी तरह का शोध चल रहा है, जहां इस बात पर अध्ययन किए जा रहे हैं कि योग जैसे पारंपरिक स्वास्थ्य उपाय निवारक और चिकित्सीय स्वास्थ्य परिणामों में कैसे योगदान दे सकते हैं।
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