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नई दिल्ली: जूनोटिक रोगों का ‘रडार’ विकसित करेगा वैज्ञानिक शोध : राजीव बहल

नई दिल्ली: -नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग से की जाएगी नए संक्रमणों की शुरुआती पहचान

नई दिल्ली, 4 अप्रैल: इबोला, निपाह वायरस, जीका वायरस, मंकीपॉक्स एवं एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) जैसे जूनोटिक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने शुक्रवार से वृहद वैज्ञानिक शोध शुरू कर दिया है। इस शोध में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी शामिल है।

दरअसल केंद्र सरकार ने जंगली जानवरों से मनुष्यों में होने वाले रोगजनकों के संचरण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए अंतर-मंत्रालयी वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया है जिसका उद्देश्य मनुष्यों में फैलने वाली जूनोटिक बीमारियों के प्रसार की वजह खोजना है। मानव, पशु, पक्षी और वन स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित अध्ययन से ना सिर्फ भारत की पहली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी। बल्कि संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों का जवाब देने के बाबत देश की तैयारियों में इजाफा हो सकेगा।

आईसीएमआर के महानिदेशक और डीएचआर के सचिव डॉ. राजीव बहल ने कहा, यह अनूठा अध्ययन सिक्किम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में चुनिंदा पक्षी अभयारण्यों और आर्द्रभूमि में किया जाएगा। इसमें मानव आबादी और प्रवासी पक्षी प्रजातियों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए वन हेल्थ दृष्टिकोण का उपयोग किया जाएगा। साथ ही जिस वातावरण में वे सह-अस्तित्व में हैं, उस पर नजर रखी जाएगी।

डॉ. बहल ने कहा, जिस तरह समय पर और सटीक कार्रवाई के लिए एक मजबूत रडार प्रणाली आवश्यक है, उसी तरह उभरते स्वास्थ्य खतरों का जल्द पता लगाने और रोकथाम के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली महत्वपूर्ण है। इन निगरानी ‘रडार’ को मजबूत करने के लिए अभिनव उपकरण विकसित करने की जरूरत है। इस शोध में उभरते रोगजनकों की जांच के लिए पक्षियों और पर्यावरण के समय-समय पर नमूने लिए जाएंगे और नए संक्रमणों की शुरुआती पहचान के लिए नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) जैसे उन्नत नैदानिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. रंजन दास ने कहा, जूनोटिक स्पिलओवर के लिए जिम्मेदार तंत्र और चालकों को समझना जरूरी है, ताकि समय पर और समन्वित कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा, मानव-पशु-पर्यावरण इंटरफेस पर निगरानी को मजबूत करने से भविष्य में होने वाले प्रकोपों के लिए भारत की तैयारियों में काफी वृद्धि होगी।

क्या है जूनोटिक रोग ?
इसका मतलब है वन्यजीवों से मनुष्यों में रोगजनकों का फैलना, जो नए संक्रामक रोगों के उद्भव का एक प्रमुख कारण है। इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रभावी स्वास्थ्य रणनीतियों की आवश्यकता होती है। माना जाता है कि कोविड -19 चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला था। इबोला वायरस जंगली जानवरों से और निपाह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला था।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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