
नई दिल्ली, 14 अक्तूबर : भारत की विशाल मसाला जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन में सीसीएससीएच की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसके तहत भारत वैश्विक खाद्य मानकों और व्यापार प्रथाओं को आकार देने में अग्रणी बना हुआ है।
यह बातें असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने मसालों और पाक कला जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति (सीसीएससीएच) के 8वें सत्र का उद्घाटन करने के बाद गुवाहाटी में कहीं। दरअसल, इस सत्र की मेजबानी केंद्र सरकार कर रही है, जिसमें 40 देशों के 140 प्रतिनिधि मौजूद रहे। इसमें भारतीय मसाला बोर्ड, कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग (सीएसी) के सचिवालय के रूप में कार्य कर रहा है। यह आयोग खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक संयुक्त अंतर-सरकारी निकाय है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार में खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता और निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
राज्यपाल आचार्य ने हल्दी को सुपर फूड के रूप में बढ़ावा देने और 200 से अधिक मसालों के निर्यात को मंजूरी देने जैसी भारत की सक्रिय पहलों की सराहना की, जो वैश्विक मसाला क्षेत्र में देश की बढ़ती ताकत को दर्शाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजित पुन्हानी ने मसालों के आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया और कहा कि वैश्विक मसाला उद्योग, जिसका मूल्य 2024 में 28.5 अरब अमेरिकी डॉलर था, 2033 तक 41.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने और समान वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सुसंगत, विज्ञान-आधारित खाद्य मानकों की आवश्यकता पर भी जोर दिया