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नई दिल्ली: घातक नहीं है कोरोना वायरस का जे-1 वेरिएंट

नई दिल्ली: - दवा निर्माता कंपनी और बिजनेस गठजोड़ का प्रोपेगेंडा है कोरोना का नया संक्रमण

नई दिल्ली, 20 मई : कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रोन जे-1 वायरस संक्रमण से घबराने की और आतंकित होने की कोई जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य और जाना -पहचाना वायरस है। यह ना घातक है और ना ही इसमें कोई म्यूटेशन हुआ है। यह सर्दी के सामान्य लक्षण लेकर आता है और कुछ ही दिन में इसका असर खत्म हो जाता है।

एम्स दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और महामारी विज्ञान के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. संजय राय ने बताया कि जे-1 वायरस करीब एक साल पहले (अगस्त 2024 में) सामने आया था। तब से समाज को इसके संक्रमण से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। यह एक सर्दी – जुकाम और गले में खराश जैसे लक्षणों के साथ आता है और कुछ ही समय बाद चला जाता है। यह वायरस देश के पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बन चुका है, जो अगले 40 – 50 साल तक कहीं जाने वाला नहीं है। यह सामान्य सर्दी -जुकाम जैसा रोग बन चुका है।

डॉ. राय ने कहा कि सार्स कोव- 2 या नोवल कोरोना वायरस डिजीज (कोविड- 19) पिछले पांच साल से हमारे इर्द -गिर्द मौजूद है। जबकि इस वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रोन जे-1 करीब एक साल से मौजूद है। इस वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों को हल्की से मध्यम श्वसन संबंधी बीमारी होती और उन्हें विशेष उपचार की जरुरत नहीं होती। हालांकि, कोविड टीकाकरण के बाद आबादी का अधिकांश हिस्सा स्वास्थ्य सुरक्षा चक्र में आ गया है। फिर भी कुछ लोग संक्रमित हो रहे हैं।

अचानक कोरोना मामले बढ़ने का कारण?
डॉ. संजय राय ने कहा, फिलहाल दुनिया को कोरोना वायरस या ओमिक्रोन जे-1 वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इसकी घातकता को लेकर कोई वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। अचानक कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे संक्रमण कम व्यावसायिक कारण ज्यादा जिम्मेदार हैं। डॉ. राय ने कहा, दवा निर्माता कंपनियां कोरोना काल में वैक्सीन से अच्छा -खासा लाभ कमा चुकी हैं। अब वे अपनी वैक्सीन से और लाभ कमाने के लिए कोरोना संक्रमण का शिगूफा छोड़ रही है। उन्हें कोरोना संक्रमण की नई लहर आने की उम्मीद थी जो नहीं आई। हालांकि सरकार कोरोना के मामलों पर नजर रख रही है जो जरूरी है।

छोटे बच्चों को किया था कोरोना वैक्सीन से मुक्त
महामारी विज्ञान के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. संजय राय लंबे समय से कोरोना वायरस पर शोध कर रहे हैं। डॉ. राय के सुझाव पर ही केंद्र सरकार ने 6 -12 साल उम्र के बच्चों को कोरोना का टीका लगाने का फैसला बदला था। इसके बाद कोरोना से बचाव के लिए छोटे बच्चों को देशभर में टीके नहीं लगाए गए थे। डॉ राय ने अपने शोध के आधार पर कहा था कि, बच्चों में कोविड-19 के संक्रमण की संभावना कम होती है और वे आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं। इसलिए, उन्हें टीका लगाया जाना जरूरी नहीं है।

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