
नई दिल्ली, 23 मार्च : रोग चिकित्सा के क्षेत्र में नए शोधों को बढ़ावा देने के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग ने शनिवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसके तहत विभिन्न प्रोफेसरों, डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को अनुसंधान निधि प्राप्त करने के बाबत ‘प्रभावी अनुदान लेखन’ की तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।
इस कार्यशाला के दौरान डॉ. दिनेश कुमार यादव ने कहा, देश आज शोध और नवाचार के क्षेत्र में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। जिसे प्रभावी अनुदान लेखन के माध्यम से वैश्विक पटल पर सफल बनाया जा सकता है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत को शोध का हब भी बनाया जा सकता है। डॉ यादव ने कहा, इस कार्यशाला का उद्देश्य रचनात्मक और प्रभावशाली अनुसंधान अनुदान प्रस्तावों के लेखन को प्रोत्साहित करना है, ताकि प्रमुख अनुसंधान कार्यों के लिए अनुदान और वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सके। इन भारतीय शोधों से चिकित्सा क्षेत्र में डेटा और साक्ष्य उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी, जो अब तक विदेशी डेटा और साक्ष्य पर निर्भर है।
यह डेटा न केवल भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में, बल्कि बेसिक साइंसेज, क्लीनिकल मेडिसिन, प्रक्रिया मूल्यांकन, ड्रग मॉलिक्यूल डेवलपमेंट (फार्मेसी), ड्रग ट्रायल आदि में अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा। इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान मुनिरका के निदेशक डॉ. प्रो. धीरज शाह ने शनिवार को किया। इस अवसर पर कलावती सरन चिल्ड्रन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हरीश पेमडे, डॉ. मनोज कुमार दास, डॉ. प्रदीप कुमार (आईसीएमआर), डॉ. विकास दिक्षे (डीएचआर) सहित अन्य विशेषज्ञों ने प्रभावी अनुदान लेखन संबंधी तकनीकी जानकारी प्रदान की। साथ ही विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियों का विवरण प्रदान किया जो मानव समाज के हित में अनुसंधान निधि प्रदान करते हैं।
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