
नई दिल्ली, 27 मार्च: सैन्य क्षेत्र में बदलाव के पांच प्रमुख स्तंभ हैं जिनमें प्रौद्योगिकी अवशोषण, संरचनात्मक परिवर्तन, मानव संसाधन विकास और तीनों सेवाओं के बीच सामंजस्य बढ़ाना शामिल है। इनके माध्यम से सेना को भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू बल बनने में मदद मिलेगी।
यह बातें सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद में उच्च रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम (एचडीएमसी-20) के समापन समारोह में कहीं। इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना का समग्र रोडमैप भी पेश किया। सेना प्रमुख ने कहा कि सशस्त्र बलों को ना सिर्फ गतिशील, चुस्त और तकनीकी रूप से सक्षम होना चाहिए। बल्कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी क्षेत्रों में योगदान देना चाहिए। साथ ही राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख स्तंभ और क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा भागीदार बने रहना चाहिए।
इस दौरान एचडीएमसी कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के 153 अधिकारियों और मित्र विदेशी देशों के 14 अधिकारियों समेत 167 अधिकारी मौजूद रहे। एचडीएमसी एक प्रमुख सैन्य शिक्षा कार्यक्रम है जिसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को रणनीतिक दूरदर्शिता, प्रबंधन विशेषज्ञता और निर्णय लेने की क्षमता से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह उच्च रक्षा प्रबंधन और नीति निर्धारण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।