
नई दिल्ली, 15 मई : देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले अप्रवासी भारतीय जल्द ही खेल के मैदान में भी अपना योगदान देते नजर आएंगे।
दरअसल, खेल मंत्रालय देश को एक महत्वपूर्ण खेल शक्ति के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से गांव -गांव, शहर -शहर खेल प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने में जुटा है। इसके तहत विभिन्न खेल वर्गों में स्कूली बच्चों से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को चुन-चुनकर प्रशिक्षण भी दे रहा है। लेकिन अब खेल मंत्रालय अपनी पारखी नजर विदेश में बसे भारतीय मूल के खिलाड़ियों की ओर करने जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक खेल मंत्रालय ‘भारत के लिए खेलो’ और ‘भारत में खेलों’ योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत भारतीय मूल के लोगों को भारत के लिए खेलने के बाबत आमंत्रित करने की योजना बनाई जा रही है, जिसे अमलीजामा पहनाने के लिए खेल विशेषज्ञों और विधि विशेषज्ञों के साथ गंभीरता पूर्वक विचार -विमर्श किया जा रहा है। इस योजना से जहां मंत्रालय को विदेश में बसी देसी खेल प्रतिभाओं को तराशने का मौका मिलेगा। वहीं, अप्रवासी भारतीयों की प्रतिभा से भारत की पदक तालिका में इजाफा देखने को मिलेगा।
वहीं भारत में खेलो योजना के तहत दुबई और शारजाह जैसे अंतर्राष्ट्रीय खेल स्थलों की तरह कमाई करने को प्राथमिकता दी जाएगी। यानि विदेशी सरजमीं पर खेलों का आयोजन करने वाले आयोजकों को भारत में प्रतियोगिता कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्हें देश के उन्नत और आधुनिक स्टेडियम विदेशी दरों के मुकाबले रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे आयोजकों को आर्थिक लाभ मिलने के साथ ही खेल प्रेमी दर्शकों का एक बड़ा वर्ग भी मिल सकेगा।
बता दें कि भारत में फुटबॉल स्टेडियम, हॉकी स्टेडियम और मल्टी-स्पोर्ट स्टेडियम सहित विविध खेल गतिविधियों वाले स्टेडियमों की बड़ी संख्या है। इनमें दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम नरेन्द्र मोदी स्टेडियम (अहमदाबाद), भारत का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम ईडन गार्डन्स (कोलकाता) एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम (बैंगलोर), वानखेड़े स्टेडियम (मुंबई) और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (दिल्ली) शामिल है। हालांकि 49 स्टेडियम क्रिकेट से संबंधित हैं जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।
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