
नई दिल्ली, 13 मई : आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता महर्षि धनवंतरि के जन्मदिवस ‘धनतेरस’ पर मनाया जाने वाला ‘आयुर्वेद दिवस’ अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा। इस आशय की घोषणा केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को नई दिल्ली में की।
मंत्रालय के मुताबिक आयुर्वेद दिवस, हर साल आयुर्वेद को एक वैज्ञानिक, साक्ष्य-आधारित और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है जो निवारक स्वास्थ्य सेवा और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब तक आयुर्वेद दिवस हिंदू पंचांग के कार्तिक (आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर) महीने में धनतेरस के अवसर पर मनाया जाता है लेकिन परिवर्तनशील चंद्र कैलेंडर के कारण यह तारीख हर साल बदल जाती है। जिससे आयुर्वेद दिवस की कोई निश्चित वार्षिक तिथि तय नहीं हो पाती है।
इस वजह से आयुष मंत्रालय ने उपयुक्त विकल्पों की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया था, जिसने आने वाले दशक में धनतेरस की तिथि 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच व्यापक रूप से बदलते रहने के चलते चार संभावित तिथियों का प्रस्ताव रखा। इन तिथियों में से 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए चुना गया। ताकि एक ही नियत तारीख पर दुनियाभर में आयुर्वेद का प्रचार -प्रसार किया सके। बता दें कि 2016 में धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया गया था।
आयुष सचिव पदमश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि यह निर्णय व्यावहारिक और प्रतीकात्मक दोनों तरह के विचारों से प्रेरित है। चुनी गई तिथि 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ मेल खाती है, एक ऐसा दिन है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। यह खगोलीय घटना प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है, जो ना सिर्फ आयुर्वेदिक दर्शन के साथ पूरी तरह से संरेखित है। बल्कि मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन पर भी जोर देती है। विषुव, ब्रह्मांडीय सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है, आयुर्वेद के सार – प्रकृति के साथ संतुलन में रहना, को भी रेखांकित करता है।