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नई दिल्ली: 50 मिनट में 28 अभ्यास करेंगे ब्लड में अतिरिक्त शुगर का नाश

नई दिल्ली: -एम्स दिल्ली के सीसीएम व सीआईएमआर ने शोध के बाद तैयार की योग अभ्यास बुकलेट

नई दिल्ली, 20 दिसम्बर : मधुमेह या डायबिटीज को अब लोग आसानी से मात दे सकेंगे। लोगों को ना ज्यादा मात्रा में दवा खाने की जरूरत होगी और ना बहुत अधिक परहेज करना होगा। उन्हें सिर्फ रोजाना 50 मिनट तक योग के 28 आसनों का अभ्यास करना होगा।

इस आशय का दावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स दिल्ली) के विशेषज्ञों ने किया है। इसके लिए एम्स के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र (सीसीएम) और एकीकृत चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र (सीआईएमआर) ने 56 पेज की योग पुस्तिका तैयार की है। इस मॉड्यूल में 28 प्रकार के आसन, आसन अभ्यास की अवधि (कितने मिनट करें) और चक्र (एक बार में कितनी बार करें) की विस्तृत जानकारी दी गई है। यह मॉड्यूल डीएसटी फंडिंग के साथ एम्स में किए गए एक शोध अध्ययन पर आधारित है।

सीसीएम के प्रोफेसर और डायबिटीज एवं योग कार्यक्रम के प्रमुख शोधकर्ता डॉ पुनीत मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि डायबिटीज एक जीवन शैली रोग है जिसे जीवनशैली में बदलाव लाकर आसानी से दूर किया जा सकता है। प्रोफेसर पुनीत ने बताया कि इस संबंध में डायबिटीज पीड़ित 400 लोगों को दो ग्रुप में बांटकर शोध किया गया था। एक ग्रुप के लोगों को योग के साथ शुगर कंट्रोल करने की दवाएं दी गई थी और दूसरे ग्रुप को केवल दवाएं ही दी गई थी।

तीन महीने बाद पता चला कि जिन लोगों को दवाओं के साथ योग कराया गया था, उनमें शुगर लेवल उन लोगों की तुलना में तेजी से नियंत्रित हुआ था जिन्होंने योग नहीं किया था। इस मॉड्यूल से इलाज के दौरान मधुमेह पीड़ितों के लिपिड प्रोफाइल में सुधार के साथ एचबीए1सी स्तर में उल्लेखनीय रूप से कमी पाई गई। यह मॉड्यूल काफी प्रभावी पाया गया है। डॉ पुनीत ने बताया कि इस मोड्यूल को विकसित करने में सीआईएमआर के डॉ गौतम शर्मा ने भी मदद की है।

डॉ पुनीत ने कहा, भारत में डायबिटीज के 10 करोड़ से अधिक मरीज हैं जो बीमारी को काबू में रखने के लिए विभिन्न दवाओं का सेवन करते हैं, लेकिन एम्स की रिसर्च में साबित हुआ है कि डायबिटीज को योग से भी कंट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, अपने शरीर की क्षमता के हिसाब से ही योग करें और अचानक ज्यादा अवधि तक योग न करें। शरीर को हाइड्रेट रखें। वहीं, डॉ. रीमा दादा ने कहा कि योग ना सिर्फ शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है बल्कि रूमेटाइड गठिया, आर्थराइटिस और डिप्रेशन को भी काबू कर सकता है।

क्या होता है ब्लड शुगर ?
ग्लूकोज (चीनी) व्यक्ति के शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है जो रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचता है। इस प्रक्रिया को संपन्न करने में इंसुलिन नाम का हार्मोन प्रमुख भूमिका निभाता है लेकिन जब अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या बिल्कुल भी नहीं बनाता, या फिर व्यक्ति का शरीर इंसुलिन के प्रभावों पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता। तब व्यक्ति के रक्त प्रवाह में ग्लूकोज जमा (इकठ्ठा) होना शुरू हो जाता है, जिससे हाई ब्लड शुगर या उच्च रक्त शर्करा (हाइपरग्लाइसेमिया) हो जाता है। इस स्थिति को मधुमेह या डायबिटीज कहा जाता है जिसका तकनीकी नाम ‘डायबिटीज मेलिटस’ है। ग्लूकोज मुख्य रूप से आपके भोजन और पेय पदार्थों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट के जरिये शरीर में आता है।

शुगर से जुड़े कुछ अन्य रोग ?
डायबिटीज इन्सिपिडस: यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो मधुमेह मेलिटस की तुलना में अलग है। इसमें ज्यादा प्यास लगती है और बार-बार पेशाब आता है। यह बीमारी तब होती है, जब मस्तिष्क द्वारा उत्पादित वैसोप्रेसिन हार्मोन की कमी हो जाती है। समय के साथ, लगातार उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण हृदय रोग , तंत्रिका क्षति और आंखों की समस्याएं जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह किडनी रोग: इसे डीकेडी, क्रोनिक किडनी रोग, सीकेडी, मधुमेह किडनी रोग या मधुमेह नेफ्रोपैथी भी कहा जाता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी: यह मधुमेह की एक जटिलता है, जिसमें तंत्रिकाओं को नुकसान होता है। यह आमतौर पर पैर की उंगलियों और उंगलियों में संवेदना के नुकसान के रूप में शुरू होती है। मधुमेह रेटिनोपैथी: यह मधुमेह की वजह से रेटिना की रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान की वजह से होती है। इससे आंखों की रोशनी कम हो सकती है या अंधेपन की स्थिति हो सकती है

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