मानसून आया संक्रमण लाया, पिंक आई से परेशान हो रहे लोग
- बरसात के चलते कंजक्टिवाइटिस के प्रसार में आ रही तेजी

नई दिल्ली, 12 जुलाई : राजधानी दिल्ली में मानसून के आगमन के साथ शहर का मौसम तो गुलाबी हो गया है लेकिन मौसम के साइड इफेक्ट लोगों को परेशान कर रहे हैं जिसके चलते लोगों की आंखें भी गुलाबी होने लगी हैं। नतीजतन, विभिन्न अस्पतालों की ओपीडी में पिंक आई या गुलाबी आंखों की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या में करीब 20 फीसद तक इजाफा हो गया है। दरअसल, उमस और गर्मीभरे माहौल में अक्सर नेत्र संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं जिसे पिंक आई (आंखें आना) या कंजंक्टिवाइटिस के नाम से जाना जाता है। यह जुलाई माह के अंत तक चरम पर पहुंच जाता है।
इस संबंध में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध गुरु नानक नेत्र केंद्र की निदेशक डॉ कीर्ति सिंह ने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस या नेत्र श्लेष्मला शोथ एक नेत्र रोग है जो संक्रमण के कारण होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की आंखों में चुभने वाला दर्द, खुजली और सूजन के साथ अत्यधिक आंसू का उत्पादन होता है। साथ ही आंखों से गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिससे आंखों के आस-पास पपड़ी जम जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को आंख की पुतली की बाहरी परत और भीतरी पलक में सूजन एवं दर्द की समस्या से गुजरना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि यह रोग बरसात के मौसम में सीलन, उमस और गर्मी भरे वातावरण में पनपता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की एक आंख या दोनों आंखों में लालिमा और जलन होती है। सुबह सोकर उठने के बाद मरीज की आंखों की पलकें आपस में चिपक जाती हैं। पलक में सूजन आ जाती है और वह प्रकाश के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं। यह आंखों के स्राव के सीधे संपर्क से या अप्रत्यक्ष रूप से तौलिये और दूषित वस्तुओं के संपर्क से भी फैलता है।
डॉ सिंह के मुताबिक बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आंखों में जेंटामाइसिन/टोब्रामाइसिन 6-8 बार एक सप्ताह तक डाली जा सकती है। उन्होंने कहा कंजंक्टिवाइटिस होने पर कॉन्टैक्ट लेंस बिलकुल नहीं पहनना चाहिए। यह अक्सर अपने-आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन इलाज से रिकवरी तेज हो सकती है। वहीं, वायरल कंजक्टिवाइटिस होने पर उचित स्वच्छता के उपाय बरतने चाहिए और तीन से सात दिन तक डॉक्टर के परामर्श से ट्रीटमेंट लेना चाहिए।
सामान्य उपाय
1. नेत्र संबंधी स्वच्छता बनाए रखी जाए- आंखों को छूने/रगड़ने से बचें, हाथों को बार-बार धोएं, हाथ मिलाने और तौलिये/तकिए साझा करने से बचें।
2. दिन में एक या दो बार पानी में उबालकर, कमरे के तापमान तक ठंडा करके रूई से पलकों की सफाई करें।
3. आंखों से पानी पोंछने के लिए साफ रुमाल का प्रयोग करें।
4. आंखों में ड्रॉप डालने से पहले हाथ धोना चाहिए।
5. गहरे रंग के सुरक्षात्मक चश्मे का उपयोग किया जा सकता है।
6. कॉन्टैक्ट लेंस पहनना बंद करें।
7. इस स्थिति से पीड़ित बच्चे स्कूल जाने से बचें।
8. दृष्टि में कमी/ या दर्द और फोटोफोबिया जैसे लक्षणों के बिगड़ने पर मरीज को तुरंत अस्पताल को रिपोर्ट करना चाहिए।
9. रोग ठीक होने में एक सप्ताह का समय लगता है। इस स्थिति के लिए ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक्स/स्टेरॉयड या जड़ी-बूटियों/जूस का प्रयोग न करें।
बॉक्स ——-
आई फ्लू को लेकर तत्काल कदम उठायें स्कूल
उधर, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने स्कूली छात्रों को आई फ्लू के संक्रमण से बचाने के लिए स्कूलों को ऐहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए है। इस संबंध में वीरवार को जारी सर्कुलर में स्कूलों से कहा गया है कि वे दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन की एडवाइजरी का पालन करें। साथ ही स्कूल परिसर में आई फ्लू से बचाव और लक्षण की जानकारी का प्रसार करें। इसके तहत बच्चों को आई फ्लू से बचाव के लिए साबुन या सेनेटाइजर से हाथों को साफ रखने, आंखों को बार-बार न छूने, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने, आई फ्लू होने पर तैराकी न करने, आंखों को साफ पानी से धोने और संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल न करने जैसी जानकारियां दी जाएंगी।