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जेवर में बनेगा जिले का पहला दो मंजिला प्राथमिक स्कूल, खर्च होंगे 50 लाख रुपये

जेवर में बनेगा जिले का पहला दो मंजिला प्राथमिक स्कूल, खर्च होंगे 50 लाख रुपये

अमर सैनी

नोएडा। जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के बाद से इस क्षेत्र का विकास निरंतर गति पकड़ रहा है। अब इस विकास के साथ-साथ यहां के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की शिक्षा में भी एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी हो रही है। सरकारी स्कूलों में अब निजी स्कूलों जैसी आधुनिक सुविधाएं दी जाएंगी। जिससे छात्रों के भविष्य को एक नई दिशा मिलेगी।

गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर ब्लॉक में जल्द ही पहला दो मंजिला प्राथमिक विद्यालय बनने जा रहा है। इस परियोजना के लिए 50 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है, जो सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड से आएगी। यह स्कूल बंकापुरा गांव में बनाया जाएगा, जिसमें नई शिक्षा नीति के तहत प्रैक्टिकल और वास्तविक जीवन पर आधारित शिक्षा प्रदान करने की योजना है। जेवर ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में छात्रों को पहले बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता था। कई स्कूलों में छात्रों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी, लेकिन अब इंडियन ऑयल के साथ समझौता कर शिक्षा विभाग एक नया मॉडल स्कूल बनाने जा रहा है। इस स्कूल में आठ कमरे होंगे, जो आमतौर पर प्राथमिक स्कूलों में मिलने वाली कक्षाओं से अधिक होंगे। इसके अलावा, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब और छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर की भी व्यवस्था की जाएगी।

क्षेत्रीय शिक्षा में सुधार
जेवर ब्लॉक को प्रदेश के सुपर 100 ब्लॉकों में शामिल किया गया है, जो इस क्षेत्र में शिक्षा की बढ़ती गुणवत्ता का प्रमाण है। पहले कंपनियां इस क्षेत्र में सीएसआर फंड के अंतर्गत कार्य करने में रुचि नहीं दिखाती थीं, लेकिन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के बाद यह स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब कई कंपनियां इस क्षेत्र के विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं।

शिक्षा में नई उम्मीदें
बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस नए स्कूल की स्थापना से गरीब तबके के छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा का लाभ मिलेगा। यह स्कूल छात्रों को न सिर्फ किताबों की पढ़ाई बल्कि प्रैक्टिकल ज्ञान और जीवन कौशल की शिक्षा भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “यह परियोजना क्षेत्रीय छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इससे उन बच्चों को पढ़ने का मौका मिलेगा, जिन्हें पहले उचित सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। अब ये छात्र एक नई दिशा की ओर तेजी से आगे बढ़ सकेंगे।

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