
अमर सैनी
नोएडा। इंडिया एजुकेशन एक्सपो में विभिन्न कॉलेज व यूनिवर्सिटी के छात्रों ने आधुनिक तकनीक का प्रदर्शन किया। गलगोटिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की फॉर्मूला रेसिंग कार व सोलर बस ने सबका ध्यान खींचा। छात्र 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली फॉर्मूला रेसिंग कार तैयार कर रहे हैं। इसका डिजाइन बेहद खास है, इसमें चालक की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है। युवाओं में कार व बाइक रेसिंग की चाहत किसी से छिपी नहीं है। शहर में भी मोटो जीपी व फॉर्मूला रेस जैसे बड़े आयोजन हो चुके हैं। जिले में विदेशी राइडर्स व कंपनी की रेसिंग कारों के साथ रेस होती रहती हैं।
ऐसे में गलगोटिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केके दुबे ने बताया कि कार को तैयार होने में समय लगेगा। हालांकि इसका डिजाइन पूरा हो चुका है। कार में सेंसर से लेकर कई खास सुविधाएं होंगी। एक्सपो में स्कूली छात्रों में कार में बैठकर फोटो खिंचवाने की होड़ भी लगी रही। इसके अलावा छात्र इंडिया एजुकेशन एक्सपो-2024 में भविष्य की समस्याओं का समाधान भी लेकर आए। जीएल बजाज के छात्रों ने यातायात के कारण बढ़ रहे वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कार सेंसर विकसित किया, जिसे वाहन के साइलेंसर पर लगाकर उसके इंजन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। कंप्यूटर साइंस के छात्र अब्दुल हन्नान इब्राहिम का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया वाहन प्रदूषण से जूझ रही है। हम इसे खत्म तो नहीं कर सकते, लेकिन इसे कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं। उनके द्वारा बनाया गया सेंसर साइलेंसर पर फिट होकर कार के इंजन की स्थिति के बारे में बताएगा। यह बताएगा कि वाहन कितना प्रदूषण कर रहा है। प्रदूषण का स्तर कम होने पर अंक मिलेंगे, जिसे चालक पेट्रोल पंप से भुना सकता है। इसे तैयार करने में डेढ़ महीने का समय लगा। इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जा चुका है।
खेल-खेल में सिखाया नवाचार
छात्र हर्ष चौहान ने एक्सपो में खेल-खेल में नवाचार सिखाया। वह ड्रोन और रोबोटिक्स लेकर आए। वह स्कूलों में ड्रोन प्रोजेक्ट लैब स्थापित करते हैं। बच्चे ड्रोन को खुद असेंबल करते हैं। असेंबलिंग के दौरान बच्चे ड्रोन की तकनीक को बारीकी से समझते हैं। वे लैपटॉप पर ड्रोन उड़ाने का अभ्यास करते हैं। इसके बाद वे वास्तविक उड़ान भरते हैं। यह ड्रोन 30 मिनट तक उड़ान भरकर दो किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
सौर ऊर्जा से चलने वाली बस बनाई
गलगोटिया के डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग छात्रों ने बैटरी आधारित 20 सीटर बस बनाई है। बस की छत पर सोलर पैनल भी लगाया गया है। यह 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कार की बैटरी भी चलने के दौरान सौर ऊर्जा से चार्ज होती है। बस पूरी तरह से वायरलेस है और फिलहाल इसका इस्तेमाल विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों को एक विंग से दूसरे विंग में छोड़ने के लिए किया जा रहा है। एक्सपो मार्ट में कई बच्चे बस में सफर करते भी देखे गए। बस पूरी तरह से वातानुकूलित है और सूरज की रोशनी न होने पर एक बार चार्ज करने पर 120 किलोमीटर का सफर तय करने में सक्षम है।