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Fortis Shalimar Bagh: जीवित रहने की केवल 5% संभावना के बावजूद 55 वर्षीय मरीज हुआ रिकवर

Fortis Shalimar Bagh: जीवित रहने की केवल 5% संभावना के बावजूद 55 वर्षीय मरीज हुआ रिकवर

नई दिल्ली। फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग की मेडिकल टीम ने एक 55 वर्षीय मरीज को उस समय जीवनदान दिया जब उनकी जीवित रहने की संभावना मात्र पांच प्रतिशत थी। मामला तब सामने आया जब मरीज पीठ पर मौजूद एक छोटी गांठ को निकालने के लिए निजी अस्पताल में सर्जरी कराने पहुंचे और सर्जरी के कुछ ही देर बाद उनकी हालत अचानक गंभीर हो गई। मरीज बेहोश हो गए, उनके फेफड़े काम करना बंद कर गए और दिल की धड़कन भी रुक गई।

मरीज को तुरंत इमरजेंसी इलाज के लिए फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग लाया गया। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ एन एन त्रिपाठी ने बताया कि मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। इमेजिंग जांच में पता चला कि फेफड़े बेकार हो चुके थे, जो लगातार दी गई गहन सीपीआर का परिणाम था।

मेडिकल टीम में डॉ त्रिपाठी, डॉ राशि खरे, डॉ अमित प्रकाश और डॉ विशाल ने बिना कोई समय गंवाए मरीज को कैथ लैब में शिफ्ट किया और इमरजेंसी एंजियोग्राफी कर हृदय धमनियों में रक्त प्रवाह बहाल किया। इसके बावजूद मरीज को एक बार फिर दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद टीम ने मरीज को एडवांस लाइफ-सपोर्ट सिस्टम, यानी ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजेनेशन) थेरेपी पर रखा। यह थेरेपी अगले पांच दिनों तक जारी रही, जिससे मरीज के हृदय और फेफड़ों को दोबारा काम करने की क्षमता मिली।

ईसीएमओ थेरेपी के दौरान मरीज के हृदय और फेफड़े की कार्यक्षमता को मशीन द्वारा बनाए रखा गया। लगातार निगरानी और चिकित्सकीय देखभाल के बाद मरीज की स्थिति स्थिर हुई और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और सामान्य जीवन यापन कर रहे हैं।

इस घटना ने डॉक्टरों की तत्परता और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया, जिससे एक गंभीर हालत में पड़े मरीज को पुनः जीवन मिला।

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