Ladle Mashak Dargah: लाडले मशक दरगाह में राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा को लेकर विवाद

Ladle Mashak Dargah: लाडले मशक दरगाह में राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा को लेकर विवाद
कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में स्थित लाडले मशक दरगाह को लेकर एक बार फिर विवाद गरमा गया है। महाशिवरात्रि के मौके पर दरगाह में स्थापित राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा को लेकर मामला तूल पकड़ सकता है। मंगलवार को कलबुर्गी अदालत ने हिंदू संगठनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 फरवरी को दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति दे दी। हालांकि, अदालत ने अंदोला सिद्धलिंग स्वामी को पूजा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी।
हिंदू कार्यकर्ताओं ने दरगाह में शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगी थी, जिस पर अदालत ने याचिकाकर्ता सिद्धारमैया हिरेमठ सहित 15 हिंदू कार्यकर्ताओं को पूजा करने की मंजूरी दी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पूजा से पहले सभी प्रतिभागियों के आधार कार्ड के साथ उनकी सूची जिला प्रशासन को सौंपनी होगी। लाडले मशक दरगाह का नाम 14वीं शताब्दी के सूफी संत लाडले मशक के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपनी रहमत से लोगों का दिल जीता था। वहीं, दरगाह परिसर में 15वीं शताब्दी के हिंदू संत राघव चैतन्य की समाधि भी स्थित है।
सूत्रों के अनुसार, राघव चैतन्य समर्थ रामदास के गुरु थे, जिनका मराठा राजा छत्रपति शिवाजी भी बहुत सम्मान करते थे। उनकी समाधि पर स्थित राघव चैतन्य शिवलिंग को लेकर यह विवाद बना हुआ है।