
हरियाणा-कश्मीर संवाद पर चचा परिचर्चा
ज्ञान हमें दादा परदादा से मिला है उसको हमें दूसरों को भी बताना चाहिए
पंचकूला, 4 दिसम्बर – हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा मीडिया छात्र एसोसिएशन द्वारा अकादमी के महाराजा दाहिर सेन सभागार में आज जम्मू-कश्मीर के एक अध्ययन यात्रा दल के साथ हरियाणा-कश्मीर संवाद विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। पिछले वर्ष की भांति इस बार भी कश्मीर के छात्रों का एक अध्ययन दल चंडीगढ़ एवं हरियाणा की यात्रा पर चंडीगढ़ आया हुआ है। अन्तरराज्यीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अन्तर्गत अकादमी द्वारा यह परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री द्वारा की गई।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि पीर पांजाल जम्मू कश्मीर को जोड़ता है। उनका कहना है कि अगर किसी समाज की संस्कृति को खत्म करना हो तो उस समाज की मातृभाषा को मार दो। उन्होंने कहा कि कहा कि पढ़ने से सोच में वैज्ञानिकता आती है। उनका मत है कि जितना ज्ञान कम होता है उतना अभिमान बढ़ जाता है। ज्ञान की मात्रा का कोई अंत नहीं होता। उनका मानना है कि अंतिम सत्य तक पहुंचने में लाखों साल लगा जाएंगे परन्तु तब तक हम नहीं होंगे।
जम्मू कश्मीर से पधारे लगभग 65 छात्रों के अध्ययन दल को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो ज्ञान हमें दादा परदादा से मिला है उसको हमें दूसरों को भी बताना चाहिए, जिससे यह जानकारी सभी को मिल सके। दुनिया में जितनी भी तरक्की हुई है वह बेसिक आइडिया से हुई है और यह बेसिक आइडिया मातृभाषा से ही आता है।
डॉ. अग्निहोत्री ने अनेक उदाहरणों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को सामाजिक विकास एवं राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
छात्र मीडिया ऐसोसिएशन के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह ने बताया कि जम्मू कश्मीर के छात्रों का यह अध्ययन दल चंडीगढ़ तथा हरियाणा के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करेगा। इस परिचर्चा में जम्मू कश्मीर से पधारे अनेक छात्रों ने अपनी कविताओं, गजलों तथा अपने विचारों व अनुभवों को श्रोताओं के समक्ष सांझा किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजेन्द्र कुमार द्वारा किया गया तथा परिचर्चा में सैय्यद अब्दुल हनान, दिनेश कुमार तथा प्रदीप शर्मा सहित यात्रा दल के लगभग 65 छात्रों ने भी अपनी भागदारी दर्ज करवाई।