दिल्ली पुलिस ने चोरी के वाहनों पर बीमा क्लेम करने के लिए फर्जी FIR दर्ज कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
दिल्ली पुलिस ने एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है और उसके मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है जो चोरी के वाहनों के बीमा का दावा करने के लिए “फर्जी एफआईआर” दर्ज करता था, जबकि वास्तव में उसने उन्हें बेच दिया था। आरोपी की पहचान मनोज शर्मा के रूप में हुई है। उसकी गिरफ्तारी से पुलिस उत्तराखंड से दो ट्रैक्टर बरामद करने में सफल रही, जबकि एक जेसीबी मशीन राष्ट्रीय राजधानी से 1200 किलोमीटर दूर लद्दाख में मिली।
डीसीपी जिम्मी चिराम ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई में एक व्यक्ति ने अपनी एक गाड़ी चोरी होने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस के बाहरी जिले के एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड की एक टीम ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि शिकायतकर्ता मनोज ने पहले ही अपने चार अन्य वाणिज्यिक वाहनों की चोरी के संबंध में चार अन्य ई-एफआईआर दर्ज करा रखी थीं। इसके बाद पुलिस टीम ने प्रत्येक मामले में घटना के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की सावधानीपूर्वक जांच की तथा अन्य विवरणों की पुष्टि की, जिससे उनका संदेह और बढ़ गया। इसके बाद पुलिस ने शिकायतकर्ता से गहन पूछताछ की, जिसके बाद वह टूट गया और उसने कबूल किया कि उसने अपने वाहनों की चोरी की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी, जबकि वास्तव में उसने उन्हें अन्य राज्यों में बेच दिया था।
तदनुसार, पुलिस ने कानून की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की और आरोपी मनोज को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में एक स्थानीय अदालत ने धोखाधड़ी करने वालों के पूरे गिरोह का पता लगाने के लिए पुलिस को 8 दिनों की हिरासत में दे दिया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने तीन जेसीबी और दो ट्रैक्टर खरीदे थे, जिन्हें उसने जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में किसी को बेच दिया था। इसके अलावा, उनकी निशानदेही पर एक ट्रैक्टर मंगलौर (उत्तराखंड) से, दूसरा ट्रैक्टर दनकौर, गौतमबुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) से तथा जेसीबी कारगिल, लद्दाख से बरामद की गई। आगे की पूछताछ में आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, जिसके कारण उसने अपने और अपने परिवार के लिए शानदार जीवनशैली अपनाने के लिए इस तरह के अपराध किए। पुलिस को इस घटना में और लोगों के शामिल होने का संदेह है। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने इस अखबार को बताया, “ऐसा लगता है कि यह किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक गिरोह का काम है।” उन्होंने आगे बताया कि जांच अभी भी जारी है।