Delhi: दिल्ली के विश्वास नगर में मौत बन रहे अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन, खतरे में सैकड़ों ज़िंदगियां

Delhi: दिल्ली के विश्वास नगर में मौत बन रहे अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन, खतरे में सैकड़ों ज़िंदगियां
रिपोर्ट: रवि डालमिया
दिल्ली के शाहदरा जिले के विश्वास नगर इलाके में अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशनों का जाल दिन-ब-दिन फैलता जा रहा है, जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोगों की जान के लिए एक खतरनाक चुनौती भी बन चुका है। इन चार्जिंग अड्डों की वजह से अब तक कई बार शॉर्ट सर्किट और बैटरी फटने जैसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें लोगों की जान तक चली गई है। इसके बावजूद न तो प्रशासन की नींद खुली है और न ही पुलिस की सक्रियता नजर आती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो विश्वास नगर इलाके में एक घर के भीतर प्रतिदिन 25 से 30 ई-रिक्शा की बैटरियां चार्ज की जाती हैं। यह चार्जिंग दो शिफ्टों में होती है — सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक। इन्हीं घंटों के दौरान ई-रिक्शा चालकों को पार्किंग की भी अनुमति दी जाती है, जिससे यह अवैध काम और अधिक व्यवस्थित रूप ले चुका है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। न सिर्फ विश्वास नगर, बल्कि पास की शास्त्री गली जैसे क्षेत्रों में भी शायद ही कोई गली या मकान बचा हो जहां इस तरह की गैरकानूनी चार्जिंग गतिविधियां न चल रही हों। कुछ लोगों ने बताया कि इन चार्जिंग प्वाइंट्स पर पहले भी कई हादसे हो चुके हैं — कभी अचानक आग लग गई, तो कभी बैटरी फट गई। मगर हादसों के बावजूद न कोई कार्रवाई होती है और न ही कोई रोक-थाम के प्रयास किए जाते हैं।
इस समस्या की जड़ में स्थानीय लोग मकान मालिकों और प्रशासन की मिलीभगत को मानते हैं। एक निवासी ने गुस्से में कहा, “ये लोग सिर्फ अपनी कमाई के लिए पूरे मोहल्ले की जान जोखिम में डाल रहे हैं। चारदीवारी के भीतर अगर बिजली से चलने वाली इतनी बड़ी मात्रा में बैटरियां चार्ज हो रही हैं, तो यह सीधे तौर पर फायर सेफ्टी और सार्वजनिक सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है।” उन्होंने प्रशासन को सीधे तौर पर दोषी ठहराया और कहा कि अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी आंख मूंदे हुए हैं।
एक अन्य बुजुर्ग नागरिक ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, “यहां जितनी बार हादसे हुए, हर बार हमने सोचा कि अब शायद प्रशासन जागेगा, लेकिन हर बार वही ढाक के तीन पात। अब तो लगने लगा है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी।”
इस बीच कुछ स्थानीय लोगों ने समाधान की दिशा में सुझाव भी दिए हैं। एक निवासी ने कहा, “जिस तरह पेट्रोल पंप और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अधिकृत चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं, उसी तरह ई-रिक्शा चालकों के लिए भी सरकारी मानकों के अनुसार चार्जिंग प्वाइंट्स की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह काम घरों के अंदर नहीं होना चाहिए।”
दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले महानगर में अगर ऐसी लापरवाही बरती जाती रही, तो एक छोटी सी चिंगारी बड़ी तबाही में बदल सकती है। जरूरत है कि प्रशासन तुरंत इन अवैध चार्जिंग स्टेशनों पर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में किसी की जान न जाए। वरना यह लापरवाही एक दिन पूरे शहर को भारी कीमत चुकाने पर मजबूर कर सकती है।
>>>>>>>>>>