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Delhi Air Pollution: दिल्ली में ज़हरीली हवा का कहर, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए डॉक्टरों की गंभीर चेतावनी

Delhi Air Pollution: दिल्ली में ज़हरीली हवा का कहर, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए डॉक्टरों की गंभीर चेतावनी

रिपोर्ट: रवि डालमिया

दिल्ली एक बार फिर धुंध और जहरीली हवा की घनी चादर में कैद है। सुबह की रोशनी धुंध में गुम हो रही है और हवा का हर झोंका शहर के लोगों के लिए बोझ साबित हो रहा है। सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, गले में खराश, सिरदर्द और गंभीर श्वसन रोग—यह सब अब दिल्ली की पहचान जैसा बन गया है। लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा खतरे में हैं गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चे, जिनके लिए यह जहरीली हवा भविष्य का बड़ा संकट बन सकती है।

इस गंभीर विषय पर टॉप स्टोरी के संवाददाता ने दिल्ली नगर निगम संचालित स्वामी दयानंद अस्पताल के पीडियाट्रिक्स विभाग के HOD डॉ. एस. एस. बिष्ट से विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने नेटफ्लिक्स पर एक सीरीज़ ‘क्राउन’ देखी, जिसमें प्रदूषण के कारण लंदन में एक समय बीमारी फैल गई थी और स्थिति इतनी बिगड़ी कि सरकार बदलने तक की नौबत आ गई। डॉक्टर बिष्ट कहते हैं कि यह कहानी भले ही ड्रामेटिक थी, लेकिन दुखद सच्चाई यह है कि आज वही स्थिति दिल्ली जैसे शहरों में वास्तविक रूप ले रही है। वे बताते हैं कि लंदन में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) कभी 10 से ऊपर नहीं जाता, जबकि दिल्ली में 300–400 का स्तर आम बात हो गया है।

डॉ. बिष्ट बताते हैं कि चीन का बीजिंग, जो कुछ साल पहले दिल्ली की तरह प्रदूषण से जूझ रहा था, अब सुधर चुका है और वहां की स्टडीज़ ये साबित करती हैं कि लंबे समय तक प्रदूषण का संपर्क गर्भस्थ शिशु पर बेहद गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जब हवा में मौजूद PM 2.5 कण अत्यधिक हो जाते हैं, तो वे सीधे मां के प्लेसेंटा तक पहुंच सकते हैं और वहां जमा होकर सूजन (इन्फ्लेमेशन) पैदा कर सकते हैं। यह सूजन बच्चे के दिमाग के विकास में रुकावट बनती है, जिससे आगे चलकर मानसिक विकास, सीखने की क्षमता और व्यवहार से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

वे आगे चेतावनी देते हैं कि गर्भ में बच्चे के सभी अंग विकसित हो रहे होते हैं और उस दौरान यदि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और जहरीली गैसें लगातार शरीर में जाती रहें, तो वे डीएनए और जीन में बदलाव (Genetic Mutation) पैदा कर सकती हैं। इसका परिणाम जन्मजात विकृतियां, अंगों में टेढ़ापन, फेफड़ों की कमजोरी या भविष्य में कैंसर तक की संभावना के रूप में सामने आ सकता है।

सरकारी अस्पतालों में इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं—हाई-फ्लो ऑक्सीजन यूनिट्स, नवजात ICU की क्षमता बढ़ाना, गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित मॉनिटरिंग और आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था मजबूत की जा रही है। लेकिन डॉक्टर बिष्ट का स्पष्ट संदेश है कि प्रदूषण सिर्फ शहर की समस्या नहीं, यह आने वाली पीढ़ी के अस्तित्व का संकट बन चुका है। इससे लड़ने के लिए सिर्फ अस्पताल या सरकार ही नहीं, जनता को भी सजग और जिम्मेदार बनना होगा।

डॉ. बिष्ट गर्भवती महिलाओं से विशेष अपील करते हैं कि वे बिना देर किए N95 मास्क का उपयोग शुरू करें, घर में एयर प्यूरीफायर अनिवार्य रूप से लगाएं, सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें, पानी अधिक पिएं, पौष्टिक भोजन लें और डॉक्टर की सलाह का पूरी गंभीरता से पालन करें। वे कहते हैं—
“आपका लिया हर सावधानी आपका नहीं, आपके बच्चे के भविष्य की रक्षा कर रही है। अगर हम आज नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी।”

दिल्ली की हवा चाहे जितनी भी जहरीली क्यों न हो, जिम्मेदारी, जागरूकता और सामूहिक प्रयास ही आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रख सकते हैं।

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