ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ मोहित अरोड़ा बोले प्रदूषण और सर्दी दोनों ही हार्ट के बड़े दुश्मन
रिपोर्ट: रवि डालमिया
प्रदूषण और सर्दी दोनों ही हार्ट के बड़े दुश्मन हैं। बढ़ती सर्दी के कारण नसों में सिकुड़न पैदा हो जाती है। ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। प्रदूषण के कारण भी दिल पर बुरा असर पड़ता है।
दिल की सेहतमंद रखना शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। हार्ट में जब खून और ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है या कम हो जाती है तो हार्ट अटैक आता है। सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा और भी बढ़ जाता है। इसकी वजह ठंडा मौसम और बढ़ता प्रदूषण भी है। इसके अलावा सर्दियों में ऐसे कई कारण बनते हैं जो दिल का दौरा पड़ने के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
इसी को लेकर टॉप स्टोरी के संवाददाता ने कैलाश दीपक हॉस्पिटल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ मोहित अरोड़ा से बात की उनके मुताबिक, सर्दियों में शारीरिक और पर्यावरण से जुड़े कुछ कारकों की वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। ठंड में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और तनाव बढ़ जाता है। इसके अलावा सर्दियों में फ्लू जैसे सांस से जुड़े संक्रमण भी बढ़ जाते हैं, जो ब्लड वेसेल्स में सूजन पैदा कर सकते हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा खतरा बढ़ सकता है।
सर्दियों में लोग कम फिजिकल एक्टिविटी करते हैं। प्रदूषण और ठंड के कारण घूमना फिरना कम हो जाता है। सर्दियों में लोग हाई कैलोरी फूड, ज्यादा तला हुआ खाना खाने लगते हैं। इसके अलावा धूप की कमी होने से शरीर में विटामिन डी कम होने लगता है। ये सारे फैक्टर्स मिलकर शरीर पर और हार्ट हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये सारे फैक्टर्स मिलकर सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के जोखिम को बढ़ाते हैं। खासकर उन लोगों के लिए ये मौसम ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है,
सर्द मौसम आपके दिल के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। कुछ हृदय संबंधी स्थितियों में आपातकालीन उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, लक्षणों पर ध्यान देना और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है। निदान और उपचार में देरी घातक हो सकती है या जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है.
हार्ट अटैक के दौरान एस्पिरिन की एक गोली खाई जा सकती है लेकिन अगर डॉक्टर ने इसे अनुमति दी हो तो। क्योंकि एस्पिरिन खून को पतला करने में मदद करती है और थक्के बनने से रोकती है। अगर मरीज के पास नाइट्रोग्लिसरीन है जो दिल की बीमारी के मरीजों को डॉक्टर द्वारा दी जाती है, तो इसे निर्देशानुसार लिया जा सकता है ताकि दिल की धमनियों को आराम मिल सके। इन प्राथमिक उपचारों के बाद जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की कोशिश करें।