नई दिल्ली, 15 सितम्बर: ब्लड कैंसर, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस और जीका वायरस के लिए स्वदेशी दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल के बाबत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने चार औद्योगिक व शैक्षणिक संस्थानों के साथ करार किया है। जिसके जरिये लोगों को किफायती और अत्याधुनिक उपचार आसानी से मुहैया कराया जा सकेगा।
इस संबंध में जारी बयान के मुताबिक आईसीएमआर ने भारत के नैदानिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में अपने चरण 1 नैदानिक परीक्षणों के नेटवर्क के तहत चार समझौते किए हैं। इनमें ऑरिजिन ऑन्कोलॉजी लिमिटेड के साथ मल्टीपल मायलोमा के लिए एक छोटे अणु पर सहयोगात्मक अनुसंधान, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के साथ जीका वैक्सीन के विकास के लिए साझेदारी, मायने वैक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस वैक्सीन परीक्षण का समन्वय और इम्यूनो एक्ट के साथ क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के एक नए संकेत के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी उन्नति अध्ययन शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा यह पहल को भारत को स्वास्थ्य सेवा नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरने की स्थिति में लाती है। चरण 1 नैदानिक परीक्षण बुनियादी ढांचे की स्थापना स्वदेशी अणुओं और अत्याधुनिक उपचारों के विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण घटक है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, ये सभी समझौते प्रारंभिक चरण के परीक्षणों से लेकर विपणन तक नई दवाओं को विकसित करने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों पर निर्भरता कम होती है और अंततः सभी के लिए सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा का मिशन आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।