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जन्मदिन विशेष : जनता के डिप्टी CM हैं ब्रजेश पाठक

काजल केरी कोठड़ी, तैसा यह संसार बलिहारी ता दास की, पैसि र निकसणहार...

Uttar Pradesh News : (अभिषेक मेहरोत्रा, वरिष्ठ पत्रकार) अर्थात ये संसार माया-रुपी काजल की कोठरी के समान है, जो प्रवेश करता है वो कालिख से बच नहीं पाता। धन्य है उसका जो इसमें से बिना दाग लगे साफ निकल आता है। कबीर की यह रचना जहां एक तरफ संसार की कटु सच्चाई बयां करती है तो वहीं दूसरी तरफ इस सच्चाई के बीच अपने आदर्श, मूल्यों और मानववादी विचारों को जीवित रखने वालों का गुणगान भी करती है। अगर बात करें तो यूपी के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी ऐसे ही चंद लोगों में शुमार हैं। वह राजनीति की काली कोठरी में रहते हुए भी बेदाग हैं। बात केवल बेदाग होने की ही नहीं है, उनके आदर्श, मूल्य और मानववादी विचार आज भी जीवित हैं, जो अक्सर सफलता की ऊंचाई पर पहुंचकर धुंधले पड़ने लगते हैं।

हजार ख्वाहिशें और सपने थे

दरअसल, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जमीं से आसमान का सफर तय किया है। उन्हें विरासत में राजनीति की उपजाऊ भूमि नहीं मिली, उन्होंने बंजर भूमि को अपने पसीने से खींचकर उपजाऊ बनाया। इसलिए वह आदर्श, मूल्य और मानववादी विचारों का मोल समझते हैं। ब्रजेश पाठक मूल रूप से हरदोई जिले के मल्लावां से आते हैं। वह पढ़ाई के लिए जब लखनऊ पहुंचे तो एक सामान्य युवा की तरह मन में हजार ख्वाहिशें और सपने थे। एक बेहद साधारण परिवार का बेटा जिसकी पहली प्राथमिकता थी बस अपने परिवार को एक बेहतर जीवन देना। हालांकि, छात्र राजनीति से जुड़ने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि आंदोलन के बिना कोई क्रांति पूरी नहीं होती। उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत कांग्रेस की इकाई NSUI से हुई, लेकिन उनकी लोकप्रियता किसी पार्टी की मोहताज नहीं रही।

ऐसे चुना छात्र संघ अध्यक्ष

साधारण सा कुर्ता-पजामा पहनने वाला बेटा कब छात्रों के दिलोदिमाग पर बस गया किसी को पता ही नहीं चला। हालांकि, यह सबकुछ अचानक या एक ही झटके में नहीं हुआ। बताते हैं मुश्किलों के समंदर को तैरकर पार करने वाला दूसरों की मुश्किलों को बखूबी समझ सकता है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने छात्रों को समझा और छात्रों ने उनकी समझ पर भरोसा जताया। इस तरह लखनऊ यूनिवर्सिटी को ब्रजेश पाठक के रूप में एक ऐसा छात्र संघ अध्यक्ष मिला, जिनकी बातों को हर कान पूरी गंभीरता से सुनता। करीब एक दशक तक लखनऊ की छात्र राजनीति ब्रजेश पाठक के इर्दगिर्द चलती रही।

राजनीति कद तेजी से बढ़ना शुरू हुआ

इस दौरान उन्होंने एक कारोबारी के तौर पर खुद को स्थापित किया, ताकि परिवार के प्रति अपनी आर्थिक जिम्मेदारी भी निभा सकें। ब्रिजेश पाठक का छात्र जीवन भी पूरी तरह बेदाग रहा। लखनऊ में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर की बेटी से विवाह के पश्चात ब्रजेश पाठक का राजनीति कद तेजी से बढ़ना शुरू हुआ। हालांकि, इस दौरान उन्होंने कई मौकों को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वह हरिशंकर तिवारी से अलग राह नहीं चुनना चाहते थे। तिवारी उन दिनों यूपी की सियासत में बड़ा दखल रखते थे। बाद में जब हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा तो ब्रजेश पाठक भी बसपा में शामिल हो गए। हालांकि, इसकी वजह महज इतनी नहीं थी। वह बसपा की नीतियों से प्रभावित थे और समाज के हर वर्ग के प्रति कुछ करना चाहते थे।

सरलता और दिलेरी आसान नहीं

ब्रजेश पाठक ने बसपा की टिकट पर उन्नाव से चुनाव लड़ा और पहली ही बार में जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि, कुछ वक्त बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी और लोकसभा से राज्यसभा चले गए। दरअसल, मायावती उन्नाव सीट किसी और को देना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने ब्रजेश पाठक से आग्रह किया और उन्होंने बिना कोई सवाल-जवाब किए सीट खाली कर दी। इस तरह की सरलता और दिलेरी आसान नहीं होती। ब्रजेश पाठक मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से बेहद प्रभावित थे, लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि मायावती इससे भटक रही हैं तो उन्होंने नया रास्ता तलाशा। 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती की आगरा रैली के बाद उन्होंने भारी मन से बसपा से रिश्ता तोड़ने का ऐलान कर डाला। इसके बाद वह भाजपा से जुड़े और अमित शाह की मौजूदगी में दिल्ली में ‘कमल’ थामने के बाद जब वह वापस लखनऊ लौटे तो जहां-जहां ट्रेन रुकी उनका हर स्टेशन पर भव्य स्वागत हुआ। जो उनके कद, लोकप्रियता और आमजन के बीच उनकी स्वीकार्यता को दर्शाता है।

आमजन की परेशानियों और व्यवस्था की लूपहोल्स को प्रमुखता से उठाया

पाठक एक मुखर राजनेता हैं और वह विपक्ष के साथ-साथ अपनों से सवाल पूछने में भी गुरेज नहीं करते। कोरोना काल के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अधिकारियों के नाम खुलापत्र लिखा था। इसमें उन्होंने आमजन की परेशानियों और व्यवस्था की लूपहोल्स को प्रमुखता से उठाया। 2022 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें लखनऊ कैंट सीट से टिकट दिया और यहां भी वह बड़ी आसानी से जीत गए। इस जीत से पार्टी और राज्य की सियासत में उनका कद और भी बढ़ गया। उन्हें प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया साथ ही स्वास्थ मंत्रालय भी सौंपा गया।

जात-पात, धर्म-समाज से ऊपर उठकर लोगों की सेवा करते

ब्रजेश पाठक एक शानदार राजनेता हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह उस व्यक्ति को कभी नहीं भूलते जिसने हमेशा उनका साथ दिया। यही एक सच्चे राजनेता की पहचान होती है। वह जब भी लखनऊ में होते हैं, हर रोज जनता दरबार लगाते हैं और यह केवल नाम का जनता दरबार नहीं होता, यहां बाकायदा जनता की सुनी जाती है। ब्रजेश पाठक जात-पात, धर्म-समाज से ऊपर उठकर लोगों की सेवा करते हैं, यही वजह है कि उनकी स्वीकार्यता हर वर्ग में है। उन्हें जनता का डिप्टी सीएम कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

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