AIIMS Delhi OPD Card: एम्स के हर ओपीडी कार्ड पर दर्ज होगा डॉक्टर का नाम

AIIMS Delhi OPD Card: एम्स के हर ओपीडी कार्ड पर दर्ज होगा डॉक्टर का नाम
नई दिल्ली, 03 नवम्बर : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने मरीजों की सुविधा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब एम्स में मरीजों के इलाज से जुड़े हर दस्तावेज़ — जैसे ओपीडी कार्ड, डायग्नोस्टिक टेस्ट फॉर्म और मेडिकल रिपोर्ट — पर संबंधित ओपीडी के डॉक्टर का नाम और हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से दर्ज किए जाएंगे। यह नया सर्कुलर मरीजों और डॉक्टरों के बीच पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया है।
मरीजों की सुविधा के लिए उठाया गया कदम
एम्स प्रशासन ने बताया कि अब तक कई बार मरीजों को यह पता नहीं होता था कि उनका इलाज कौन सा डॉक्टर कर रहा है। ऐसे मामलों में मेडिकल-लीगल जांच या शिकायत के दौरान भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती थी। नए नियम से मरीजों को अपने इलाज के लिए जिम्मेदार डॉक्टर की पहचान करने में आसानी होगी। इससे मरीज का विश्वास बढ़ेगा और अस्पताल में जवाबदेही का माहौल बनेगा।
बेहतर संवाद और पारदर्शिता का लक्ष्य
एम्स प्रशासन का कहना है कि इस निर्णय से डॉक्टरों और मरीजों के बीच संवाद को और प्रभावी बनाया जा सकेगा। मरीज अपने इलाज से जुड़े सवाल सीधे डॉक्टर से पूछ सकेंगे, जिससे इलाज की प्रक्रिया अधिक स्पष्ट और भरोसेमंद होगी। सर्कुलर में कहा गया है कि यह कदम “मरीजों के हित में पारदर्शिता बढ़ाने और संचार की खाई को पाटने” की दिशा में अहम सुधार है।
डॉक्टरों को सख्ती से पालन का निर्देश
एम्स प्रबंधन ने सभी विभागों के प्रमुखों (एचओडी) को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि संबंधित डॉक्टर अपने नाम और हस्ताक्षर ओपीडी कार्ड पर अवश्य दर्ज करें। एम्स प्रशासन को उम्मीद है कि डॉक्टर इस नए नियम का पालन ईमानदारी से करेंगे, ताकि मरीजों को किसी तरह की असुविधा न हो।
हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन को लेकर नई बहस
हाल ही में एम्स दिल्ली ने एक और निर्देश जारी किया था, जिसके तहत डॉक्टरों को मरीजों के ओपीडी कार्ड पर दवाओं और डायग्नोस्टिक टेस्टों के नाम हिंदी में लिखने को कहा गया था। इसका उद्देश्य यह था कि मरीज अपनी बीमारी और उपचार को बेहतर तरीके से समझ सकें।
हालांकि, इस निर्देश पर डॉक्टरों के एक वर्ग ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि एम्स में देश के विभिन्न राज्यों से मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनमें कई गैर-हिंदी भाषी लोग होते हैं। ऐसे मरीजों को आकस्मिक परिस्थितियों में अपने गृह राज्य में उपचार के दौरान हिंदी में लिखे प्रिस्क्रिप्शन से दिक्कत हो सकती है।
एम्स का पक्ष – मरीजों के हित में सुधार
एम्स प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि दोनों निर्णय — डॉक्टर के नाम दर्ज करने और हिंदी में प्रिस्क्रिप्शन — का उद्देश्य केवल मरीजों की सुविधा बढ़ाना है। अस्पताल का कहना है कि यह पहल स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और मरीज-हितैषी बनाएगी।एम्स दिल्ली का यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।




