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Afghanistan Earthquake: दिल्ली की अफगान बस्ती में पसरा सन्नाटा, संचार ठप होने से शरणार्थियों की चिंता बढ़ी

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप से 600 से ज्यादा मौतें। दिल्ली की अफगान बस्ती में संचार ठप, शरणार्थियों में गहरी चिंता।

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप से 600 से ज्यादा मौतें। दिल्ली की अफगान बस्ती में संचार ठप, शरणार्थियों में गहरी चिंता।

Afghanistan Earthquake: दिल्ली में अफगान शरणार्थियों की बढ़ी चिंता

पूर्वी अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप ने 600 से ज्यादा लोगों की जान ले ली और 1,300 से अधिक लोग घायल हो गए। इस त्रासदी की खबर ने दिल्ली की अफगान बस्ती में रह रहे शरणार्थियों और प्रवासियों की नींद उड़ा दी है।

Camera captures deadly tremors in Afghanistan: Magnitude 6 quake flattens villages, over 800 dead; buildings reduced to rubble - The Times of India

Afghanistan Earthquake:  फोन कॉल्स और संचार ठप

दिल्ली में छोटे-छोटे कमरों और दुकानों में रहने वाले अफगान नागरिक लगातार अपने घरवालों को फोन मिलाते रहे, लेकिन टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं ठप होने से संपर्क नहीं हो सका।

  • 20 वर्षीय आसिम, जो दिल्ली में सूखे मेवे बेचते हैं, का परिवार जलालाबाद में रहता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने आखिरी बार अपने माता-पिता से दो हफ्ते पहले बात की थी। अब वह बस अपनी दादी की सलामती की दुआ कर रहे हैं।

Afghanistan earthquake kills 800, injures 2,800, Taliban asks world for help | Reuters

Afghanistan Earthquake:  तालिबान सरकार का बयान

तालिबान सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 6.0 थी।

  • कुनार प्रांत और नंगरहार सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

  • 610 लोगों की मौत और 1,300 से ज्यादा घायल होने की पुष्टि हुई है।

दिल्ली में रह रहे अफगान नागरिकों का कहना है कि परिवार से संपर्क न होने की वजह से उनकी दिनचर्या और कामकाज तक प्रभावित हो रहा है।

Afghanistan Earthquake:  पुराने जख्म भी हरे हुए

  • 35 वर्षीय नासिर खान, जो दिल्ली के एक रेस्तरां में काम करते हैं, बोले – “कुछ साल पहले भी ऐसे हादसे में मैंने अपने चचेरे भाई को खोया था। अब फिर वही डर महसूस हो रहा है।”

  • करीम, जो वेटर हैं, ने कहा – “भूकंप ने हालात और मुश्किल कर दिए। हम सिर्फ समाचार चैनलों से जानकारी ले पा रहे हैं।”

दूर रहकर भी सहमे अफगान

कुछ शरणार्थियों के परिवार सीधे भूकंप क्षेत्र में नहीं थे, लेकिन डर सबमें था।

  • मोहम्मद वसीम, जो दिल्ली में ड्राइवर हैं, बोले – “मैं काबुल से 4 साल पहले आया था। मेरे घर से भूकंप का केंद्र केवल 1 घंटे की दूरी पर था। इसलिए डर और बढ़ गया है।”

Afghanistan Earthquake:  दिल्ली की अफगान बस्ती में खामोशी

दिल्ली की अफगान बस्ती में यह त्रासदी सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि परिवार की चिंता का दूसरा नाम बन गई है।

  • हर कोई फोन से चिपका बैठा है।

  • नेटवर्क की खामोशी ने सबकी बेचैनी और बढ़ा दी है।

  • उम्मीद सिर्फ एक कॉल, एक संदेश और अपने परिवार की सुरक्षित खबर की है।

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