नई दिल्ली, 4 अगस्त : किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्लैंड एनलार्जमेंट की समस्या से परेशान मरीजों को अब राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में लेजर तकनीक से सर्जरी की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट विभाग की ओर से शनिवार को दो नई सुविधाओं की शुरुआत की गई जिसका उद्घाटन चिकित्सा निदेशक डॉ अजय शुक्ला ने किया। इस अवसर पर डॉ हेमंत कुमार गोयल, हैदराबाद के डॉ सिद्ध लिंगा स्वामी और डॉ आशीष सैनी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
आरएमएल अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के मुखिया डॉ हेमंत कुमार गोयल ने बताया कि अब मरीजों को गुर्दे में पथरी और पौरुष ग्रंथि में वृद्धि जैसी समस्याओं के समाधान के लिए चीर- फाड़ या सर्जरी कराने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आरएमएल ने आरआईआरएस (रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी) और एचओएलईपी (प्रोस्टेट का होल्मियम लेजर एन्युक्लिएशन) जैसी लेजर तकनीक से सर्जरी करने की शुरुआत की है। इस सर्जरी में मरीज को चीरा लगाए बिना किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्लैंड एनलार्जमेंट की समस्या से निजात मिल जाती है। हालांकि, यह तकनीक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में पहले से इस्तेमाल हो रही है लेकिन आरएमएल अस्पताल में अब शुरू हुई है। डॉ गोयल के मुताबिक इस तकनीक से सर्जरी कराने के लिए निजी क्षेत्र में डेढ़ लाख रुपये तक का खर्च आता है जबकि हमारे अस्पताल में यह दोनों सर्जरी निशुल्क उपलब्ध हैं।
किडनी और प्रोस्टेट की सर्जरी का लाइव डेमो
डॉ हेमंत कुमार गोयल ने बताया कि आरआईआरएस और एचओएलईपी तकनीकों के लांच के साथ ही 15 मरीजों की सर्जरी की गई। इनमें 15 वर्ष की एक लड़की के गुर्दे से पथरी निकालने की सर्जरी के साथ 20 से 80 वर्ष आयु के अन्य मरीजों की किडनी और प्रोस्टेट सर्जरी शामिल हैं। डॉ गोयल ने बताया कि इस अवसर पर चार ओटी के माध्यम से 15 सर्जरियों का लाइव डेमोंस्ट्रेशन भी किया गया। जिसका लाभ देश भर से आरएमएल पहुंचे करीब 30 यूरोलॉजिस्ट एवं 10 मेडिकल छात्रों ने उठाया।
क्या है आरआईआरएस ?
यह गुर्दे की पथरी निकालने के लिए एक आधुनिक सर्जिकल प्रक्रिया है. इसमें, लचीले यूरेटोस्कोप को मूत्रमार्ग के ज़रिए मूत्राशय में और फिर मूत्रवाहिनी के रास्ते गुर्दे के मूत्र-एकत्रित हिस्से में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर पर कोई चीरा नहीं होता और इसमें एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए आम तौर पर मरीज को कोई दर्द या परेशानी नहीं होती। हालांकि, ऑपरेशन के बाद स्टेंट लगाने की वजह से मरीज को थोड़ा दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है, जिसे ठीक किया जा सकता है।
क्या है एचओएलईपी ?
होल्मियम लेजर एक सर्जिकल लेजर है जिसका उपयोग सर्जन भारी प्रोस्टेट ऊतक को हटाने के लिए करते हैं जो पेशाब के प्रवाह को अवरुद्ध कर रहा है। मूत्र अवरोध (अवरुद्ध पेशाब) का सबसे आम कारण बीपीएच यानी सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया है। बीपीएच मरीज प्रोस्टेट को बड़ा कर देता है जिसके चलते प्रोस्टेट मरीज के मूत्रमार्ग के खिलाफ दबाव डालता है और पेशाब को मूत्राशय से बाहर निकलने से रोकता है।