
नई दिल्ली, 11 अगस्त : कुत्ते के काटने (दंत खरोंच या जख्म) से घायल लोगों के मामले में देश की सबसे खतरनाक जगह के तौर पर पहचान बनाने वाली दिल्ली को जल्द ही डॉग बाइट के आतंक से राहत मिलने जा रही है। इस संबंध में सोमवार को आया सुप्रीम कोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि दिल्ली में लावारिस कुत्तों की समस्या को बेहद गंभीर होती जा रही है जिसके चलते 8 सप्ताह के भीतर सभी लावारिस कुत्तों को पकड़कर ‘डॉग शेल्टर’ में भेजा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें शेल्टर होम भेजने की कवायद में किसी ने दखल देने की कोशिश की तो एक्शन लिया जाएगा।
रैबीज रोधी अभियान के तहत दिल्ली नगर निगम की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से जून 2025 तक दिल्ली में जानवरों के काटने की कुल 35,198 घटनाएं सामने आई हैं। यानि अकेले राष्ट्रीय राजधानी में ही औसतन 5 से 6 हजार लोग रोजाना कुत्तों सहित अन्य रैबीज धारी जानवरों के आतंक का शिकार बन रहे हैं, जबकि 49 मरीज रैबीज से ग्रस्त पाए गए हैं। आरएमएल अस्पताल के डॉ. पुलिन गुप्ता ने कहा, अगर कोई कुत्ता या जानवर काट ले तो पीड़ित को डॉक्टर की सलाह से इंजेक्शन या सीरम जरूर लगवाना चाहिए। इस संबंध में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अन्यथा पीड़ित रैबीज जैसी जानलेवा बीमारी की गिरफ्त में आ सकते हैं।
हालांकि केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में कुत्ता, बंदर, बिल्ली और घोड़े के काटे जाने से घायल लोगों को रैबीज के टीके और सीरम लगाने की निशुल्क सुविधा मौजूद है। लेकिन कई बार नागरिकों को सरकारी टीकाकरण केंद्र में रैबीज रोधी टीके या सीरम नहीं मिलते जिसके चलते उन्हें टीके लगवाने अपने घर से 10 -20 किमी दूर तक जाना पड़ता है या निजी क्लीनिक का रुख करना पड़ता है और टीकों पर पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
क्या है रैबीज ?
रैबीज एक घातक वायरल संक्रमण है जो कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के मुंह की लार में मौजूद रहता है। यह संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से बने जख्म के रास्ते पीड़ित के शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है। रैबीज के लक्षण दिखने के बाद, यह लगभग हमेशा घातक साबित होता है। अगर कुत्ता, बंदर या बिल्ली काट ले तो काटने या खरोंच आने वाली जगह को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। 24 घंटे के अंदर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाएं।
वैक्सीन और सीरम में फर्क ?
वैक्सीन एक एंटीजन होता है, जब यह शरीर के भीतर जाता है तो रैबीज वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। इस प्रक्रिया में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। वहीं, सीरम एक एंटीबॉडी होता है। यह सीधे शरीर में जाकर रैबीज के वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है। रैबीज के टीकाकरण के लिए आमतौर पर 0, 3, 7 और 14 दिन के भीतर खुराक दी जाती हैं। अगर व्यक्ति प्रतिरक्षा विहीन है तो उसे 28वें दिन पांचवीं खुराक दी जा सकती है।
मौत का कारण बन सकता है रैबीज?
रैबीज एक जानलेवा वायरस है जो कुत्ते, बिल्ली आदि जानवर के काटने (दांतों) से इंसानों में फैलता है। रैबीज तीन चरणों में विकसित होता है। पहले चरण में व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, भ्रम, दौरे, थकान, मांसपेशियों और काटने वाली जगह पर दर्द या खुजली महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को बेचैनी, चिंता, मूड में बदलाव और अत्यधिक लार आने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। दूसरे चरण में रैबीज वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। व्यक्ति को हाइड्रोफोबिया (पानी का डर), एरोफोबिया (हवा का डर) और ऐंठन का अनुभव हो सकता है। कुछ मामलों में लकवा भी हो सकता है। तीसरे चरण में व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
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