उत्तर प्रदेशभारत

उत्तर प्रदेश, वाराणसी: नशा – रील – मोबाइल की लत छोड़ विकसित भारत के निर्माण में जुटे युवा : डॉ. मांडविया

उत्तर प्रदेश, वाराणसी: - सम्मेलन में देशभर के 122 आध्यात्मिक व सामाजिक संगठनों के 600 से ज्यादा प्रतिनिधि कर रहे हैं शिरकत

उत्तर प्रदेश, वाराणसी, 19 जुलाई : मादक पदार्थों का सेवन या नशा, युवाओं के जीवन में आने वाली एक ऐसी समस्या है। जो उनके शिक्षा, करियर, घर, परिवार और समाज के साथ राष्ट्रीय प्रगति को भी प्रभावित करती है। ऐसे में हमें अपने युवाओं को नशीले पदार्थों (शराब, अफीम, चरस, गांजा, हेरोइन आदि), मोबाइल फोन और रीलों से दूर रखना होगा। चूंकि नशीले पदार्थ जहां युवाओं के स्वस्थ तन को खोखला बना रहे हैं। वहीं, मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के रील युवाओं के मन को बीमार बना रहे हैं। जिससे पारिवारिक माहौल के साथ राष्ट्रीय उत्पादकता पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

यह बातें केंद्रीय युवा कार्यक्रम, खेल और श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने रुद्राक्ष इंटरनेशनल सेंटर वाराणसी में ‘विकसित भारत के लिए नशामुक्त युवा’ विषय पर आयोजित ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह में शनिवार को कहीं।

इस अवसर पर 122 आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठनों के बड़े आध्यात्मिक नेता और 600 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद रहे। डॉ. मांडविया ने धार्मिक और सामाजिक नेताओं से आग्रह किया कि वे युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि एक शिविर या सीमित प्रयास पर्याप्त नहीं हैं – हमें एक जन आंदोलन की आवश्यकता है जहां प्रत्येक नागरिक कम से कम पांच अन्य लोगों को नशा-विरोधी अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का संकल्प ले।

उन्होंने कहा, आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश है जिसकी 65% आबादी 35 वर्ष से भी कम आयु की है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तन – मन से स्वस्थ युवाओं के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है।

डॉ. मांडविया ने कहा कि दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान बहुमूल्य चर्चाओं और विचारों पर चिंतन – मनन के जरिए सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे। शिखर सम्मेलन का समापन 20 जुलाई को ‘काशी घोषणापत्र’ के विमोचन के साथ होगा, जो युवाओं और आध्यात्मिक नेताओं के सामूहिक दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला दस्तावेज होगा।

शिखर सम्मेलन के प्रमुख विषय?

सम्मेलन के चार मुख्य सत्रों में पहला, नशे की लत को समझने और युवाओं पर इसके प्रभाव को आंकने से संबंधित है दूसरे सत्र में, नशीली दवाओं की तस्करी के नेटवर्क और वाणिज्यिक हितों को तोड़ने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है। तीसरे सत्र में प्रभावी अभियान और आउटरीच रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। जबकि चौथे और अंतिम सत्र में 2047 तक नशा मुक्त भारत बनाने के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का निर्माण किया जाएगा।

‘कोटा फैक्ट्री’ सीजन 3: जितेंद्र कुमार की दमदार ड्रामा नेटफ्लिक्स पर आएगी, रिलीज डेट सामने आई

Related Articles

Back to top button