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Varanasi Flood: गंगा के कहर से कांपी काशी, 84 घाट डूबे, फिर ना आ जाए 1978 जैसी बाढ़!

Varanasi Flood की स्थिति गंभीर हो चुकी है। गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, 84 घाट जलमग्न हो चुके हैं और लोग 1978 की विनाशकारी बाढ़ को याद कर सहम रहे हैं। क्या फिर से दोहराएगा इतिहास खुद को?

Varanasi Flood की स्थिति गंभीर हो चुकी है। गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, 84 घाट जलमग्न हो चुके हैं और लोग 1978 की विनाशकारी बाढ़ को याद कर सहम रहे हैं। क्या फिर से दोहराएगा इतिहास खुद को?

Varanasi Flood: गंगा के उफान ने काशी में मचाया हड़कंप, नमो घाट तक डूबा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी का प्रचंड रूप अब भयावह होता जा रहा है। Varanasi Flood का असर इतना गंभीर है कि श्मशान घाट, आरती स्थल और नमो घाट सब पानी में समा चुके हैं। नमो घाट पर बना ‘नमस्ते’ स्कल्पचर भी आधा डूब चुका है, और घाट की सीढ़ियां व प्लेटफॉर्म पूरी तरह जलमग्न हैं।

यदि गंगा का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो नमो घाट पर बना हेलीपैड भी पानी में समा सकता है। इस घाट की खास बात यह है कि इसकी कनेक्टिविटी जल, थल और नभ तीनों मार्गों से होती है, लेकिन फिलहाल बाढ़ ने सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया है।

84 घाट डूबे, गंगा गलियों में घुसने को तैयार

वाराणसी के बाकी 84 घाटों की भी यही स्थिति है। अधिकांश घाटों पर केवल कुछ ही सीढ़ियां पानी से बाहर बची हैं। अस्सी घाट, हरिश्चंद्र घाट, और मणिकर्णिका घाट पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं। अब मां गंगा गलियों की ओर बढ़ती नजर आ रही है।

Varanasi Flood:  गंगा का जलस्तर 68.92 मीटर पर, 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हो रहा बढ़ाव

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बुधवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 68.92 मीटर रिकॉर्ड किया गया। फिलहाल, यह 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।

  • वाराणसी में गंगा का वार्निंग लेवल: 70.26 मीटर

  • अब तक का उच्चतम बाढ़ बिंदु: 73.90 मीटर (वर्ष 1978)

काशी पानी-पानी.

Varanasi Flood:  1978 की भयावह बाढ़ की याद फिर ताज़ा

काशी के बुजुर्ग लोग 1978 की बाढ़ को याद करके सहम जाते हैं। उस वर्ष गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर तक पहुंचा था। 2013 में यह 72.90 मीटर रहा। अगर यही हाल रहा तो इतिहास फिर खुद को दोहरा सकता है।

वरुणा नदी में भी उफान, मोहल्लों तक घुसा पानी

गंगा के बढ़ते दबाव के चलते वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह शुरू हो चुका है। सरैया, कज्जाकपुरा, कोनिया जैसे इलाकों में वरुणा का पानी घरों में घुस चुका है, जिससे लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।

लकड़ियां हटाने लगे मणिकर्णिका घाट के दुकानदार

मणिकर्णिका घाट पर बढ़ते जलस्तर को देखते हुए दुकानदारों ने लकड़ियों का स्टॉक हटाना शुरू कर दिया है। पहले ही चल रहे निर्माण के कारण घाट पर प्लेटफॉर्म कम हो गए हैं, और अब शवदाह की प्रक्रिया को गलियों में शिफ्ट करने की नौबत आ सकती है।

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