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Delhi: दिल्ली के मंडोली में विश्व हिंदू परिषद की ‘हिंदू दुकान पहचान’ मुहिम, सावन में कावड़ियों को लेकर बढ़ा नेम प्लेट विवाद

Delhi: दिल्ली के मंडोली में विश्व हिंदू परिषद की ‘हिंदू दुकान पहचान’ मुहिम, सावन में कावड़ियों को लेकर बढ़ा नेम प्लेट विवाद

रिपोर्ट: रवि डालमिया

पूर्वोत्तर दिल्ली के मंडोली इलाके में सावन महीने के दौरान धार्मिक पहचान को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा स्थानीय फल विक्रेताओं और रेहड़ी-पटरी व्यापारियों की दुकानों पर बारकोड के ज़रिए उनकी धार्मिक पहचान सुनिश्चित कर ‘हिंदू प्रतिष्ठान प्रमाणपत्र’ चिपकाए जा रहे हैं। यह कवायद खासकर सावन में कावड़ यात्रा के मद्देनज़र की जा रही है, जिससे कावड़ यात्री यह जान सकें कि वे किन दुकानों से भोजन या सामग्री खरीद रहे हैं।

VHP का तर्क है कि भोले भक्तों को यह अधिकार है कि वे उन्हीं दुकानों से प्रसाद या भोजन लें जो उनके धार्मिक विश्वासों के अनुरूप हों। संगठन का दावा है कि वे सिर्फ उन्हीं दुकानों को ‘हिंदू प्रतिष्ठान’ का सर्टिफिकेट दे रहे हैं, जिनका संचालन सनातनी हिंदुओं द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए दुकानदारों से नाम, आधार विवरण और धार्मिक पृष्ठभूमि की पुष्टि की जा रही है, फिर दुकान पर पहचान का स्टीकर या बारकोड लगाया जा रहा है।

इस घटनाक्रम ने दिल्ली में एक बार फिर नेम प्लेट और धार्मिक पहचान की बहस को जन्म दे दिया है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। आलोचकों का कहना है कि यह मुहिम न केवल सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुंचाने वाली है, बल्कि संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। वे इसे सामाजिक विभाजन पैदा करने की साजिश बता रहे हैं।

वहीं विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि यह अभियान धर्म की रक्षा और भोले भक्तों के धार्मिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है। संगठन ने दावा किया है कि कावड़ यात्रा के दौरान कुछ यात्रियों को भ्रम की स्थिति से बचाने के लिए यह आवश्यक है कि वे केवल सनातनी प्रतिष्ठानों से ही प्रसाद या भोजन ग्रहण करें। इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। दिल्ली के कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह अभियान लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने और दुकानदारों को दबाव में लाने का प्रयास है। उन्होंने दिल्ली पुलिस और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है।

फिलहाल दिल्ली पुलिस इस मुद्दे पर सतर्क है, हालांकि इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं की गई है। मंडोली इलाके में दुकानदारों के बीच भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है—कुछ ने सर्टिफिकेट स्वीकार कर लिया है तो कुछ ने इसे ठुकराते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों की बात कही है।

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