
नई दिल्ली, 3 जुलाई : कोरोना वैक्सीन और सडन कार्डियक अरेस्ट के बीच कोई संबंध नहीं है। वैक्सीन ने तो लाखों लोगों की जान बचाई है। इस आशय का दावा करते हुए एम्स के वरिष्ठ डॉक्टरों ने विपक्षी दलों की उन अटकलों को खारिज कर दिया जिनमें 18 -45 वर्ष आयु के लोगों की अचानक हार्ट अटैक से मौत के पीछे कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।
एम्स के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय राय ने बताया कि देश में जनवरी 2021 में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 12 वैक्सीन को मंजूरी प्रदान की थी। अब तक दुनिया में कोरोना वैक्सीन की 13 अरब से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं। डॉ. संजय राय ने कहा कि वैक्सीन के फायदे ज्यादा हैं नुकसान बेहद कम। वैक्सीन से होने वाले गंभीर रिएक्शन 10 लाख लोगों में 30 से 70 लोगों में ही देखे गए। देश में लोगों को कोरोना वैक्सीन की दो डोज दी गईं हैं जबकि अमेरिका अपने नागरिकों को चौथी खुराक भी दे रहा है।
वहीं, पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान ने कहा कि कोरोना के टीके प्रभावी टीके थे और उन्होंने मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के दौरान, जीवन बचाने के लिए टीके ही एकमात्र उपाय हैं। टीकों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों पर किया गया और उन्होंने अत्यधिक मृत्यु दर को रोकने में प्रभावी भूमिका निभाई। डॉ. मदान ने कहा, अचानक हृदय संबंधी मौतों के बाबत अब तक इस्तेमाल किए गए टीकों की समीक्षा के लिए एम्स में एक अध्ययन किया गया, लेकिन अचानक हृदय संबंधी मौतों के साथ टीकों का कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया।
युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं पर एम्स दिल्ली के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव नारंग ने इसके पीछे तीन प्रमुख कारण गिनवाए। हार्ट मसल का मोटा होना, मॉलिक्यूलर में बदलाव और पारंपरिक क्लॉटिंग। उन्होंने कहा, बुजुर्गों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण क्लॉटिंग है। कोविड के बाद लोगो में हेल्थ अवेयरनेस बढ़ी है और सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी बढ़ा है। ऐसे में भारत में कोविड के बाद एकदम से हार्ट अटैक के मामले बढ़ते दिख रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
डॉ. नारंग ने हार्ट अटैक से बचने के लिए कुछ जरूरी उपाय भी बताए। उन्होंने कहा कि जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें हार्ट अटैक की संभावनाएं अधिक होती है। तो इस आदत को तुरंत बंद करना चाहिए। नियमित व्यायाम करें, खान पान में फल और सब्जी शामिल करें, तनाव से दूर रहें। पेट की चर्बी को कम करें। नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराएं। हेल्थ सप्लीमेंट बिना डॉक्टरी सलाह के न लें।