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विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए नदियों की सुरक्षा अनिवार्य: शंकराचार्य जी

परमधर्मसंसद में शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नदियों के संरक्षण और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर जोर दिया। सोनम वांगचुक ने भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया।

परमधर्मसंसद में शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नदियों के संरक्षण और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर जोर दिया। सोनम वांगचुक ने भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया।


शंकराचार्य जी ने नदियों के संरक्षण पर दिया बल

प्रयागराज, 21 जनवरी 2025: परमधर्मसंसद 1008 में उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य और नदियों के संरक्षण पर गहन विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि “यत् पिंडे तद् ब्रह्मांडे” सिद्धांत के अनुसार, मानव शरीर ब्रह्मांड का प्रतीक है, और नदियां इस विराट पुरुष की नाड़ियां हैं। यदि नदियां सूखती या प्रदूषित होती हैं, तो यह पृथ्वी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।


नदियों की संपत्ति छीनना अनुचित

शंकराचार्य जी ने नदियों की भूमि, जल, जीव-जंतु और वनस्पतियों की रक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “नदियों की संपत्ति को उनसे छीनना अनुचित है। यदि उनकी संपत्ति उन्हीं के पास रहती है, तो वे स्वयं अपने और किनारे पर बसे लोगों का भरण-पोषण कर सकती हैं। सरकारों को नदियों के लिए बजट आवंटन की आवश्यकता नहीं होगी।”

उन्होंने गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों को मानव शरीर की इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियों के समान बताते हुए कहा कि इनकी अविरल और निर्मल धारा विश्व पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बनाए रखने में सक्षम है।


सोनम वांगचुक की उपस्थिति और विचार

लद्दाख में पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे पर्यावरणविद् श्री सोनम वांगचुक ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने शंकराचार्य जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और गोरक्षा यज्ञ में भाग लिया। सोनम वांगचुक ने कहा कि भारत की संसद में एक सीट प्रकृति और जीव-जंतुओं के लिए भी होनी चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं और पीड़ा को भी व्यक्त किया जा सके।

शंकराचार्य जी ने उन्हें पर्यावरणीय संघर्ष के लिए प्रमाण पत्र और उत्तरीय देकर सम्मानित किया।


परमधर्मसंसद में महत्वपूर्ण चर्चाएं

परमधर्मसंसद के विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे, जिनमें सुभाष मल्होत्रा, मोहन कुमार सिंह, सुनील शुक्ल, कमला भारद्वाज, संजय जैन, नचिकेता खुराना, साध्वी वनदेवी आदि शामिल रहे।

शंकराचार्य जी ने अपने सानिध्य में गंगा आदि नदियों के संरक्षण पर चर्चा का समापन किया और परमधर्मादेश जारी किया।


धर्मसंसद का संचालन

परमधर्मसंसद का संचालन श्री देवेंद्र पांडेय जी ने कुशलतापूर्वक किया। कार्यक्रम का शुभारंभ जयोद्धोष से हुआ और अंत में शंकराचार्य जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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