नई दिल्ली, 9 जनवरी : फरीदाबाद के 19 वर्षीय स्कूली छात्र के सफल हार्ट ट्रांसप्लांट के साथ ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल का कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
इस मुफ्त हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी से जहां एक स्कूली छात्र सूरज को नया जीवन मिला है। वहीं, हार्ट फेल होने की समस्या से जूझ रहे अन्य मरीजों को आशा की नई किरण दिखाई दे रही है। हालांकि, यह आरएमएल अस्पताल में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ दूसरा हार्ट ट्रांसप्लांट है। इससे पहले अगस्त 2023 में लक्ष्मी नाम की महिला (32 वर्ष) का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। जो न केवल पूर्णतया स्वस्थ है। बल्कि एक निजी कैब कंपनी में कार चलाकर अपनी आजीविका भी कमा रही है। लक्ष्मी अपने हृदय व अन्य स्वास्थ्य जांच के लिए नियमित रूप से आरएमएल अस्पताल आती रहती है।
युवक की हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी को आरएमएल अस्पताल के सीटीवीएस विभाग के प्रमुख डॉ विजय ग्रोवर, डॉ नरेंद्र सिंह झाझरिया और डॉ पलाश अय्यर ने अंजाम दिया। टीम में डॉ पुनीत अग्रवाल, रंजीत नाथ और डॉ जसविंदर कोहली भी शामिल रहे। डॉ झाझरिया ने बताया कि युवक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित था। उसका दिल पूरी तरह काम नहीं कर रहा था, जिसके लिए हार्ट ट्रांसप्लांट करना जरूरी था। कल दोपहर एनओटीटीओ ने सूरज को एक 26 वर्षीय ब्रेन डेड युवक का ह्रदय आवंटित किया जिसे दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर गंगाराम अस्पताल से आरएमएल लाया गया।
डॉ झाझरिया के मुताबिक यह ट्रांसप्लांट सर्जरी काफी जटिल थी जो बुधवार शाम 6 बजे से लेकर वीरवार सुबह 5 बजे तक चली। आज सुबह मरीज को ओटी से कार्डियक आईसीयू में शिफ्ट किया गया है जहां उसकी हालत स्थिर है। मरीज को गहन चिकित्सा देखभाल की जरूरत है। उसे अगले 4 से 5 दिन आईसीयू में चिकित्सकीय निगरानी में रखने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाएगा। डॉ झाझरिया ने कहा, अंग विफलता के चलते प्रतिवर्ष अनेक मरीज मौत के मुंह में चले जाते हैं। अगर हम सभी मृत्यु के बाद अंगदान करने का संकल्प लें और समाज को भी प्रेरित करें तो लाखों लोगों की जान बच सकती है।
क्या बोले युवक के पिता ?
सूरज के पिता सुभाष चंद ने बताया कि मैं मजदूर हूं और परिवार सहित फरीदाबाद में किराये के मकान में रहता हूं। मेरे बेटे सूरज का ढाई साल से एम्स के कार्डियो विभाग में इलाज चल रहा था। सीने में दर्द, सूजन और चलने फिरने में ज्यादा दिक्कत होने के बाद सूरज ने पिछले साल 12वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी। डॉक्टरों ने सूरज के इलाज के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट ही एकमात्र रास्ता बताया, मगर अपरिहार्य कारणों से एम्स में ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। निजी अस्पतालों में 30 से 40 लाख रुपये खर्च आ रहा था। इस बीच किसी ने आरएमएल अस्पताल के डॉ ग्रोवर से मिलने की सलाह दी। हम यहां आ गए। यहां मेरे बेटे की हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी मुफ्त में हो गई है। मैं और मेरा परिवार डॉ ग्रोवर और अन्य सभी डॉक्टरों के साथ सरकार के भी शुक्रगुजार हैं।
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