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Maharashtra Chunav 2024: Aditya Thackeray की बड़ी हार, 2019 के वोटों से भी पिछड़े, मनसे ने डाला खेला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में Aditya Thackeray की वर्ली सीट पर स्थिति कमजोर हुई। 2019 में मिले 89,248 वोटों के मुकाबले इस बार केवल 63,324 वोट ही मिले। मनसे के कारण वोटों में गिरावट देखी गई।

वर्ली विधानसभा सीट पर Aditya Thackeray की स्थिति कमजोर

महाराष्ट्र चुनाव 2024 में वर्ली विधानसभा सीट का मुकाबला बेहद रोचक रहा।

  • Aditya Thackeray : इस सीट से शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे Aditya Thackeray मैदान में थे।
  • प्रतिद्वंद्वी: उनके सामने शिंदे गुट से मिलिंद देवड़ा और मनसे से संदीप देशपांडे खड़े थे।

2019 बनाम 2024: वोटों का गणित

  • 2019 में प्रदर्शन:
    • कुल वोट: 89,248
    • विजयी अंतर: 67,427 वोट (NCP के सुरेश माने के खिलाफ)
  • 2024 में प्रदर्शन:
    • कुल वोट: 63,324
    • विजयी अंतर: केवल 8,801 वोट
    • प्रतिद्वंद्वी मिलिंद देवड़ा: 54,523 वोट
    • मनसे प्रत्याशी संदीप देशपांडे: 19,367 वोट

आंकड़े बताते हैं कि Aditya Thackeray को इस बार 25,924 वोट कम मिले।

 

Maharashtra Assembly polls: Those threatening our workers will be made to  sleep on ice slab, says Aaditya Thackeray - India Today

मनसे का प्रभाव: Aditya Thackeray के वोटों में गिरावट की वजह?

  • 2019 में मनसे अनुपस्थित:
    • पिछले चुनाव में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने वर्ली से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था।
  • 2024 में मनसे की एंट्री:
    • इस बार संदीप देशपांडे को 19,367 वोट मिले।
    • विश्लेषण से पता चलता है कि आदित्य ठाकरे के कम हुए वोटों का बड़ा हिस्सा मनसे में चला गया।
  • छोटे दलों का प्रभाव:
    • वंचित बहुजन आघाड़ी: 2,885 वोट
    • बहुजन समाज पार्टी: 730 वोट

कमजोर प्रदर्शन के कारण

  1. शिंदे गुट की चुनौती:
    • एकनाथ शिंदे की शिवसेना से मिलिंद देवड़ा ने आदित्य ठाकरे को कड़ी टक्कर दी।
  2. मनसे की रणनीति:
    • राज ठाकरे की पार्टी ने आदित्य के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाई।
  3. कमजोर जनाधार:
    • उद्धव गुट का जनाधार घटने और पार्टी के बंटवारे का सीधा असर दिखा।

क्या आगे की राह आसान होगी?

  • आदित्य ठाकरे की यह हार उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक बड़ा संकेत है।
  • मनसे और शिंदे गुट के उभरने से ठाकरे परिवार की राजनीतिक पकड़ कमजोर होती दिख रही है।

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