नई दिल्ली, 30 सितंबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को दिल्ली के भारत मंडपम में अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान से सम्बद्ध डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 10वें दीक्षांत समारोह में 36 नवोदित डॉक्टरों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। उन्होंने पुरुषों की तुलना में महिला डॉक्टरों द्वारा अधिक गोल्ड मैडल जीतने पर खुशी भी जताई।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से कहा कि वे हमेशा याद रखें कि उनके द्वारा दी जाने वाली दवा या सलाह के साथ-साथ उनके व्यवहार में उपचारात्मक स्पर्श भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार मरीजों के परिवार के सदस्य सदमे की स्थिति में चले जाते हैं। डॉक्टरों को उन्हें आश्वस्त करना चाहिए, उनके साथ सहानुभूति रखनी चाहिए। उन्होंने डॉक्टरों को कठिन परिस्थितियों में भी संवेदनशील बने रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता और करुणा जैसे मूल्य हमारी कार्यशैली को बेहतर बनाते हैं। समारोह में राष्ट्रपति ने डॉ लोहिया और पूर्व पीएम वाजपेयी को याद किया, जिनके नाम इस प्रतिष्ठित अस्पताल से जुड़े हैं।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल छात्रों को बधाई दी और कहा कि केंद्र सरकार एक मेडिकल छात्र की शिक्षा पर 35 से 40 लाख रुपये खर्च करती है ताकि जनता को बेहतर और अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। निदेशक डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि एबीवीआईएमएस व आरएमएल अस्पताल ने चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, अनुसंधान, योग और यहां तक कि कायाकल्प कार्यक्रम के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं जिसके चलते यह एशिया का सबसे अच्छा संस्थान बना हुआ है। इस अवसर पर डॉ वी के पॉल, अपूर्व चंद्रा, जयदीप मिश्रा के अलावा पुण्य सलिला श्रीवास्तव और डॉ पुलिन गुप्ता भी मौजूद रहे।
डॉक्टर संग हिंसा की निंदा
राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में कहा कि कई बार मरीज के परिजन गुस्से में स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों से बदसलूकी करते हैं। यह गलत और निंदनीय है। सभी को यह समझना चाहिए कि डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए हर संभव उपाय करते हैं। लेकिन, फिर भी अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो उसके लिए डॉक्टर या अस्पताल के कर्मचारियों से बदसलूकी नहीं करनी चाहिए। कोई भी डॉक्टर मरीज को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोचता। लेकिन, कई बार विज्ञान में भी सभी समाधान उपलब्ध नहीं होते। जीवन और मृत्यु से जुड़े डॉक्टर आमतौर पर इन सीमाओं को समझते हैं।
छात्रों ने पारंपरिक पोशाक में ग्रहण की उपाधि
दीक्षांत समारोह में सभी छात्र व छात्राएं उपनिवेशकालीन काले गाउन और टोपी की जगह पारंपरिक भारतीय पोशाक में नजर आए। पुरुष छात्र कुर्ता पाजामा, वेस्टीज और पटके पहनकर तो महिला छात्र नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी और पटके पहनकर उपाधि ग्रहण करते दिखाई दिए।
400 से अधिक छात्रों को मिली डिग्री
इस दौरान एबीवीआईएमएस व आरएमएल अस्पताल के 2016, 17, 19, और 20 बैच के 400 से ज्यादा मेडिकल छात्र व छात्राओं को डॉक्टर की उपाधि व डिग्री के साथ स्वर्ण पदक प्रदान किए गए जिनमें डीएम, एमसीएच, एमडी, एमएस और एम फिल की डिग्रियां प्रमुख रहीं।