मुआवजा गड़बड़ी की जांच के लिए नई एसआईटी बनाने का आदेश
मुआवजा गड़बड़ी की जांच के लिए नई एसआईटी बनाने का आदेश
नोएडा। गेझा तिलपताबाद समेत अन्य गांवों के अपात्र किसानों को मुआवजा देने में हुई गड़बड़ी से संबंधित विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच से उच्चतम न्यायालय संतुष्ट नहीं है। एसआईटी ने दो याचिकाकर्ताओं के अलावा प्राधिकरण के एक अन्य अफसर की भूमिका की जांच भी नहीं की। ऐसे में अब उच्चतम न्यायालय ने एडीजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पुलिस अधिकारियों की नई एसआईटी गठित करने के लिए कहा है। इसके लिए न्यायालय ने प्रदेश सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। यह एसआईटी उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में जांच करेगी।
उच्चतम न्यायालय में मुआवजा गड़बड़ी मामले से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अब हम नोएडा के औचित्य, ईमानदारी और वरिष्ठ पदाधिकारियों के आचरण के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। अभी तक गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में सामने आया है कि दो याचिकाकर्ताओं के अलावा नोएडा का कोई अन्य अधिकारी सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग और हेराफेरी में शामिल नहीं पाया गया है। हालांकि, हम इतने व्यापक निष्कर्ष से प्रभावित नहीं हैं। फिलहाल यह स्वीकार करना मुश्किल है कि केवल दो अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के व्यक्त या परोक्ष समर्थन के बिना कदाचार में लिप्त थे। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य के विद्वान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने विशेष निर्देश लेने के लिए उच्च्तम न्यायालय से दो सप्ताह का समय मांगा। इस पर उच्चतम न्यायालय ने दो सप्ताह का समय देते हुए कहा कि क्या राज्य सरकार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ औपचारिक रूप से मामला दर्ज करने और इसकी जांच एसआईटी को सौंपने के लिए तैयार है। इस एसआईटी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रैंक के तीन आईपीएस अधिकारी शामिल होने चाहिए। ये आईपीएस अधिकारी भले ही यूपी में कार्यरत हों, लेकिन कैडर यूपी के अलावा दूसरे प्रदेशों का होना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर सहमत होने की स्थिति में इस मामले की जांच की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया जाएगा। इस सुनवाई के दौरान न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण के विधि सलाहकार वीरेंद्र नागर के अलावा दिनेश सिंह को अग्रिम जमानत देने का भी आदेश दिया था। इन अधिकारियों ने ही उच्चतम न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी।
प्राधिकरण ने 12 मामलों में गड़बड़ी पकड़ी थी
वर्ष 2021 में नोएडा प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी ने मुआवजा गड़बड़ी मामले की जांच कराई। इस पर उन्होंने 12 प्रकरणों में गड़बड़ी पकड़ी और इसके आधार पर कोतवाली सेक्टर-20 में प्राधिकरण अधिकारियों और किसानों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इन मामलों में प्राधिकरण ने पहले एक और बाद में 11 मामलों में एफआईआर दर्ज कराई थी।
एसआईटी ने 15 वर्ष में दिए मुआवजे की फाइलें जांचीं
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ही सितंबर 2023 में इस मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया था। सदस्य के तौर पर एडीजी मेरठ राजीव सभरवाल और मेरठ मंडल की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे को शामिल किया गया था। एसआईटी ने गेझा तिलपताबाद, भूड़ा सहित तीन गांवों में 20 मामलों में अपात्र किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने की गड़बड़ी पकड़ी। यह मुआवजा राशि 117 करोड़ 56 लाख 95 हजार 40 रुपये है। एसआईटी ने यह जांच पिछले 15 साल यानि एक अप्रैल 2009 से वर्ष 2023 तक के दौरान प्रकरणों की।
वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया
एसआईटी ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित 1186 और पूर्व में परीक्षण की गई 12 पत्रावलियों यानि कुल 1198 एलएआर पत्रावलियों की जांच की। जांच रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा कि प्राधिकरण ने बढ़ी दर पर प्रतिकर का अनियमित भुगतान किया, जबकि नोएडा प्राधिकरण पर कोई विधिक बाध्यता नहीं थी। नोएडा प्राधिकरण के विधि विभाग के कनिष्ठ सहायक, सहायक विधि अधिकारी एवं विधि अधिकारी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए किसानों के साथ मिलीभगत कर बढ़ी दरों पर मुआवजा दिया। किसानों को 297 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से मुआवजा दिया गया।
न्यायालय की पूर्व में की गई टिप्पणी का भी नहीं पड़ा फर्क
गेझा-तिलपताबाद के मुआवता वितरण की अनियमितताओं की बात सामने आने पर यह जांच शुरू हुई थी। उच्चतम न्यायालय ने 14 सितंबर 2023 को नोएडा प्राधिकरण और शासन को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह गड़बड़ी सिर्फ विधि अधिकारी स्तर के नहीं कर सकते। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। फिर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। इसके बाद एसआईटी ने प्राधिकरण की जांच में ही सामने आए 12 मामलों के आधार पर ही रिपोर्ट तैयार कर दी। न्यायालय ने फटकार लगाते हुए 15 सालों की जांच करने के आदेश दिए। इसके बाद आठ और मामलों में एसआईटी ने जांच में गड़बड़ी पकड़ी।
किसानों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी
मुआवजा लेने वाले अपात्र किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने की रोक को न्यायालय ने जारी रखने का आदेश दिया। यह रोक पिछली बार 15 अप्रैल 2024 को हुई सुनवाई में लगाई गई थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी भी किसान को लंबित या भविष्य में दर्ज की जाने वाली एफआईआर में आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा।
-नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2021 में गेझा तिलपताबाद गांव के किसानों को अतिरिक्त मुआवजा के मामले में एक प्रकरण में सेक्टर-20 में केस दर्ज कराया
-उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद 14 सितंबर 2023 को एसआईटी का गठन हुआ
-अक्तूबर 2023 में 11 प्रकरण में करीब 82 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने के मामले में 73 किसानों के खिलाफ फेज वन कोतवाली में केस दर्ज हुआ
-24 नवंबर 2023 को उच्चतम न्यायालय ने 10-15 सालों में बांटे गए मुआवजा प्रकरणों की जांच के आदेश दिए
-22 फरवरी 2024 को अंग्रेजी में ट्रांसलेशन के बाद एसआईटी ने उच्चतम न्यायालय में सौंपी रिपोर्ट