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1000 करोड़ के दो व्यवसायिक भूखंड पर कब्जा लेगा प्राधिकरण

1000 करोड़ के दो व्यवसायिक भूखंड पर कब्जा लेगा प्राधिकरण

अमर सैनी

नोएडा। आवंटन निरस्त होने के बाद अब नोएडा प्राधिकरण दो व्यवसायिक भूखंड पर कब्जा लेगा। इन दोनों व्यवसायिक भूखंड की कीमत करीब 1000 करोड़ के आसपास है। आवंटन के बाद दोनों भूखंड पर कंपनी का साइट पर निर्माण चल रहा है। पांच दिन पहले शासन ने एमथ्रीएम बिल्डर की दो सब्सिडियरी कंपनियों के व्यवसायिक भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया था। आवंटन निरस्त होने के बाद इस संबंध में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव औद्योगिक अनिल कुमार सागर का पत्र नोएडा प्राधिकरण को मिल गया है।

प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि आवंटन निरस्त होने के बाद अब आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए विधि विभाग और एकाउंट सेक्शन से बातचीत की जा रही है। दरअसल शासन ने बीते शुक्रवार को सेक्टर-94 में मैसर्स लैविश बिल्डमार्ट प्राइवेट लिमिटेड और सेक्टर-72 में मैसर्स स्काई लाईन प्रापकॉन प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित व्यवसायिक भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया था। ये दोनों कंपनी की मदर कंपनी एम3एम है। कुछ महीने पहले शिकायतकर्ता रूप सिंह ने फरवरी 2024 में शिकायत की थी कि प्राधिकरण के ई-ब्रोशर में लिखे नियमों एवं शर्तों का उल्लंघन करते हुए इन दोनों कंपनियों को भूखंड आवंटित किए गए। वर्ष 2022 में इन कंपनियों को भूखंड आवंटित किए गए थे। इस शिकायत प्राधिकरण से जवाब मांगा गया था। 4 अप्रैल को प्राधिकरण एसीईओ ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। जिसको आधार बनाकर ही आवंटन निरस्त किया गया।

आवंटन के बाद प्राधिकरण को मिले है 450 करोड़
आवंटन करने के बाद प्राधिकरण को इन दोनों कंपनियों से अब तक करीब 450 करोड़ रुपए भी मिल गए हैं। आरोप है कि दोनों कंपनियों को पांच लाख रुपए की अतिरिक्त बोली लगाने पर सिंगल बिड के तहत आवंटन किया गया। सेक्टर-94 स्थित भूखंड का रिजर्व प्राइस 827 करोड़ 35 लाख रुपए था और सेक्टर-72 स्थित भूखंड का रिजर्व प्राइस 176 करोड़ 48 लाख रुपए था। इन दोनों भूखंड के लिए सिर्फ पांच लाख रुपए की अतिरिक्त बोली मिलने पर प्राधिकरण ने आवंटन कर दिया।

ब्रोशर की शर्तों का किया था उल्लंघन
ऐसे में इस भूखंड को पाने के लिए आवेदक कंपनियों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हुई। इसके अलावा सब्सिडियरी कंपनी यदि खुद बोली कर्ता है तो उसे स्वयं निर्धारित न्यूनतम अर्हता जैसे कि नेटवर्थ, सालवेंसी एवं टर्न ओवर पूरी करने की शर्त है। इसके अलावा सब्सिडियरी कंपनी ने अकेले आवेदन किया था। ऐसे में उसे स्वयं ब्रोशर की शर्तों को पूरा करना था लेकिन नहीं किया गया।

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