GTB Hospital success: जीटीबी अस्पताल ने 40 साल से लंगड़ाकर चल रही महिला को दी नई जिंदगी, एक दिन में 5 हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी

GTB Hospital success: जीटीबी अस्पताल ने 40 साल से लंगड़ाकर चल रही महिला को दी नई जिंदगी, एक दिन में 5 हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी
नई दिल्ली। गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) के अस्थि रोग विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एक ही दिन में पांच जटिल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न की। इन सर्जरी से मरीजों को कूल्हे के दर्द से राहत मिली और सामान्य जीवन में लौटने का मौका मिला। खासतौर पर एक 50 वर्षीय महिला, जो 40 साल से लंगड़ाकर चलने को मजबूर थी, अब संतुलित चाल के साथ चल सकती हैं।
डॉ. विनोद कुमार, चिकित्सा निदेशक और सर्जरी टीम के प्रमुख ने बताया कि ये पांचों मरीज अलग-अलग आयु वर्ग के थे। इनमें से कुछ खेल या दुर्घटना में चोटिल हुए थे, जबकि कुछ बचपन से ही हिप समस्या के चलते चलने-फिरने में असमर्थ थे। पहली सर्जरी में 50 वर्षीय महिला का टोटल हिप रिप्लेसमेंट किया गया, जिसमें टैंटलम कोटिंग वाले आधुनिक इम्प्लांट का उपयोग किया गया, जो हड्डी के साथ बेहतर पकड़ बनाता है और लंबे समय तक टिकाऊ रहता है।

दूसरी सर्जरी 72 वर्षीय महिला की थी, जिनके हिप बॉल में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाने से हड्डी क्षतिग्रस्त हो गई थी। उनका भी टोटल हिप रिप्लेसमेंट किया गया। तीसरी सर्जरी 52 वर्षीय पुरुष मरीज की हुई, जिनके हिप जॉइंट पिछले आठ साल से खराब था और हाल ही में गिरने से जांघ की हड्डी टूट गई थी। इस जटिल स्थिति में रिवीजन फेमोरल स्टेम का उपयोग करते हुए टोटल हिप रिप्लेसमेंट किया गया। चौथी सर्जरी में 70 वर्षीय महिला को हेमी हिप रिप्लेसमेंट किया गया क्योंकि उनकी फीमर बोन की नेक में फ्रैक्चर था। पांचवीं सर्जरी में 31 वर्षीय खिलाड़ी का हिप रिप्लेसमेंट किया गया।
अस्थि रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश अरोड़ा ने बताया कि विभाग न केवल जॉइंट रिप्लेसमेंट बल्कि पॉलीट्रॉमा, स्पोर्ट्स इंजरी, बोन ट्यूमर और स्पाइन सर्जरी नियमित रूप से करता है। विभाग में रोजाना 800 से 1000 ओपीडी मरीज और करीब 100 इमरजेंसी केस देखे जाते हैं। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद अनुभवी टीम और अत्याधुनिक तकनीक के दम पर लगातार बेहतर इलाज सुनिश्चित किया जा रहा है।
इस एक दिन की सफलता ने जीटीबी अस्पताल की सर्जिकल क्षमता और टीमवर्क को भी प्रदर्शित किया है, और मरीजों के लिए उम्मीद और नई जिंदगी की राह खोली है।





