Dussehra 2025 Bihar: पटना में चार दिवसीय दशहरा महोत्सव का भव्य उद्घाटन, लोक कला और संस्कृति का संगम

Dussehra 2025 Bihar: पटना में चार दिवसीय दशहरा महोत्सव का भव्य उद्घाटन, लोक कला और संस्कृति का संगम
पटना में सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं की समृद्ध विरासत को जीवंत करते हुए राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में शुक्रवार को चार दिवसीय दशहरा महोत्सव का भव्य उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने देवी दुर्गा की स्तुति में रचित भक्ति गीतों से माहौल को भक्तिमय और समां बांधने वाला बना दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पटना के प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि दशहरा महोत्सव केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और लोक परंपराओं के संवाहक के रूप में समाज को जोड़ने का कार्य करता है। उन्होंने इस अवसर पर नई पीढ़ी को भारतीय लोक संगीत, नृत्य और कला से जोड़ने की महत्ता पर जोर दिया।
नीतू नवगीत ने महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र “अयि गिरि नन्दिनी नंदित मेदिनी…” से कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसने उपस्थित दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। इसके बाद उन्होंने गंगा मैया के गीत और पटना की लोक परंपराओं से जुड़े “पटना से बैदा बुलायी द हो”, “नजरा गइनीं गुइयां” जैसे गीत प्रस्तुत किए। उनकी प्रस्तुति पर श्रोताओं ने तालियों और उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी। लोकप्रिय लोक गीत “पनियाँ के जहाज से पलटनियाँ बनी अईहैं पिया” ने महोत्सव को और ऊंचाई दी और पूरे हॉल में उत्सव का जीवंत माहौल बना दिया।
सांस्कृतिक संध्या को और विशेष बनाने के लिए वरिष्ठ गायक आलोक राज ने अपनी मधुर आवाज़ में कई गज़लों की प्रस्तुति दी, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनकी गायकी ने महोत्सव के पहले दिन को और भी खास बना दिया।
महोत्सव में नालंदा संगीत कला विकास संस्थान, सवेरा कला केंद्र, श्रीराम कला वाटिका और अंकित पल्लव के ग्रुप द्वारा बिहार की पारंपरिक लोक नृत्य शैलियों की रंगारंग प्रस्तुतियां दी गईं। पारंपरिक परिधानों और जीवंत मंचन ने दर्शकों को बिहार की सांस्कृतिक धरोहर से सीधे परिचित कराया।
पहले दिन के समापन पर प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसमें लोक गायिका नीतू नवगीत, गायक आलोक राज और अन्य लोक कलाकार शामिल थे। महोत्सव के अगले तीन दिनों में देशभर से आने वाले कलाकार लोकगीत, नृत्य, शास्त्रीय संगीत और नाटक की प्रस्तुति देंगे। आयोजकों का कहना है कि यह महोत्सव पटना की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊर्जा देने के साथ ही युवाओं को भारतीय लोक परंपराओं से जोड़ने का काम करेगा।