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उत्तर प्रदेश, नोएडा: नोएडा प्राधिकरण के CEO का बड़ा एक्शन

उत्तर प्रदेश, नोएडा: -1 से 5 लाख के कार्य पर रोक, 2 करोड़ के कार्यों के टेंडर रोके, मांगा दो साल का ब्यौरा

अजीत कुमार

उत्तर प्रदेश, नोएडा। नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने बड़ा एक्शन लिया है। सीईओ ने आदेश जारी कर सिविल , अन्य खंडों में कोटेशन के जरिए 1 से 5 लाख तक के सभी कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

इसी तरह सिविल, जल विद्युत यांत्रिकी , उद्यान , जन स्वास्थ्य और अन्य विभागों से संबंधित सिविल और अनुरक्षण कार्य जिनकी लागत 2 करोड़ की सीमा में है। ऐसे कार्यों की सैद्धांतिक स्वीकृति अपर मुख्य कार्य पालक अधिकारी से मिलती है। इन सभी कार्यों की टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। बिना सीईओ की अनुमति के अब कार्यों के लिए टेंडर नहीं होंगे।सीईओ ने कोटेशन के जरिए 1 से 5 लाख तक और 2 करोड़ तक के सैद्धांतिक स्वीकृति वाले वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 तक के सभी कार्यों की सूची एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने के आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए है। इस आदेश के बाद प्राधिकरण के सभी विभागों में हड़कंप मच गया है। सीईओ ने इन दोनों आदेशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए लिखित ऑर्डर जारी किया है।

अधिकारों का किया जा रहा दुरुपयोग
सीईओ लोकेश एम ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि 1 से 5 लाख के कार्यों को आकस्मिक या आपताकालीन परिस्थतियों में दिखाते हुए बिना ई टेंडर प्रक्रिया या कोटेशन के माध्यम से कार्यों को करवाकर उनका भुगतान किया जा रहा है।

यही नहीं शीर्ष अधिकारियों को उसकी पत्रावली तक नहीं दिखाई जा रही। जिससे वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। ऐसे में अधिकारियों की ओर से अपने अधिकारों का दुरुपयोग स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में सभी कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
दो करोड़ के कार्यों के लिए लेनी होगी अनुमति

दो करोड़ के कार्यों के लिए भी है। एसीईओ स्तर से सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद टेंडर प्रकिया की जा रही है। ऐसे में सड़क निर्माण , अनुरक्षण और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों की टेंडर प्रक्रिया करने से पहले मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अनुमति लेनी होगी। जिसके बाद टेंडर जारी किए जा सकेंगे।

दो साल का मांगा कार्यों का ब्योरा
प्राधिकरण सीईओ ने दोनों आदेशों में 2023-24 और 2024-25 के सभी 1 से 5 लाख और सैद्धांतिक स्वीकृति के आधार पर 2 करोड़ की सीमा में कराए गए कार्यों का ब्योरा मांगा है। ये ब्योरा संबंधित अधिकारियों को एक सप्ताह में देना होगा। जिनके पत्रावलियों की जांच की जाएगी। जिसके बाद भी इस प्रकार के कार्यों की रोक हट सकती है। हालांकि जब तक कार्यों का ब्योरा स्पष्ट नहीं होता तब तक रोक रहेगी।

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