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उत्तर प्रदेश, नोएडा: नोएडा में 72 घंटे तक महिला डिजिटल अरेस्ट में रही, ठगे 50 लाख रुपये

उत्तर प्रदेश, नोएडा: नोएडा में 72 घंटे तक महिला डिजिटल अरेस्ट में रही, ठगे 50 लाख रुपये

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। नोएडा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें साइबर ठगों ने एक महिला को 72 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर उससे 50 लाख रुपये की ठगी कर ली। आरोपियों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर महिला को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी। उसे डर और भ्रम के जरिए भारी रकम ठग ली।

सेक्टर-62 निवासी किरण गुप्ता ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि 21 मई 2025 को दोपहर करीब ढाई बजे उनके मोबाइल पर एक फोन आया। कॉल करने वाली महिला ने खुद को ‘प्रिया शर्मा’ बताया और कहा कि वह दूरसंचार विभाग (नई दिल्ली) से बात कर रही है। महिला ने कहा कि मुंबई क्राइम ब्रांच की सूचना के अनुसार किरण गुप्ता का नाम 538 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नरेश गोयल के सहयोगी के रूप में सामने आया है। उन पर 2 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिसमें उनका नाम 40 संदिग्ध ट्रांजैक्शनों में जोड़ा गया है।

क्राइम ब्रांच कार्यालय में पेश होने का आदेश

प्रिया शर्मा ने किरण को बताया कि उनके नाम पर मुंबई के एक निजी बैंक में फर्जी खाता खोला गया है और इसमें लेन-देन हुआ है। साथ ही यह भी कहा गया कि उनका आधार नंबर और मोबाइल नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। उन्हें दो घंटे के भीतर मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित क्राइम ब्रांच कार्यालय में पेश होने का आदेश भी दिया गया, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं था।

फर्जी डिजिटल कोर्ट की सुनवाई

10 मिनट बाद फिर उसी महिला का दोबारा कॉल आया। उसने कहा कि वह मदद करेगी और उन्हें ‘मुंबई क्राइम ब्रांच’ के एक अधिकारी से बात कराएगी। फोन पर जुड़े व्यक्ति ने खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताया और फिर से वही आरोप दोहराए। उन्होंने कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इसे गोपनीय रखना अनिवार्य है।

इस तरीके से धमकाया

इसके बाद पीड़िता से एक पत्र लिखवाया गया। जिसमें उसने अपनी बेगुनाही बताई और पूरे परिवार की जानकारी दी। साथ ही उसकी एक सेल्फी भी मांगी गई। उसे निर्देश दिया गया कि किसी से भी संपर्क न करे। सोशल मीडिया ऐप्स डिलीट कर दे और किसी प्रकार की डिलीवरी या बाहर की वस्तु स्वीकार न करे। मोबाइल फोन बंद न करने की सख्त चेतावनी भी दी गई।

50 लाख रुपये हड़प लिए

22 मई को कथित तौर पर ‘वर्चुअल कोर्ट’ की सुनवाई वॉट्सऐप कॉल पर हुई। उसके बाद एक व्यक्ति ने खुद को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का अधिकारी बताते हुए उनसे दस्तावेज मांगे और कहा कि वह सत्यापन कर मामले को क्लियर कर देंगे। इसी क्रम में एक निजी बैंक का खाता नंबर भेजा गया और 50 लाख रुपये उसमें जमा कराने को कहा गया।

धोखे का सिलसिला जारी रहा, बेटे ने खोली पोल

किरण गुप्ता ने ठगों की बातों में आकर 50 लाख रुपये उस खाते में ट्रांसफर कर दिए। अगले दो दिनों तक उन्हें फोन आते रहे, जिसमें बार-बार यही कहा गया कि किसी से कुछ भी न कहें। जल्द ही रकम सत्यापन के बाद लौटा दी जाएगी। उसके बाद 25 मई की शाम जब उन्होंने अपने बेटे से इस बारे में बात की तो बेटे को शक हुआ। उसने सारी बातों की पड़ताल कर बताया कि यह एक बड़ा साइबर फ्रॉड है। इसके बाद किरण गुप्ता ने तुरंत नोएडा साइबर क्राइम थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई।

साइबर पुलिस कर रही जांच

साइबर क्राइम पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इस पूरे फ्रॉड में संगठित गिरोह के शामिल होने की आशंका है, जो सरकारी अधिकारियों की पहचान का झूठा सहारा लेकर लोगों को मानसिक रूप से कैद करते हैं और धीरे-धीरे उनकी निजी जानकारी और धन हड़प लेते हैं।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई साइबर धोखाधड़ी तकनीक है जिसमें ठग पीड़ित को मानसिक दबाव में रखते हैं और उसे फोन डिस्कनेक्ट न करने, किसी से बात न करने और अपने डिजिटल डिवाइस से सभी ऐप्स हटाने जैसे निर्देश देते हैं। पीड़ित को ऐसा अहसास दिलाया जाता है जैसे वह किसी कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा है, जबकि हकीकत में वह ठगों के जाल में फंसा होता है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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