राजधानी दिल्ली में वायरल निमोनिया के मामलों में इजाफा
-बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा हो रहे संक्रमण के शिकार
नई दिल्ली, 6 अक्तूबर : विशेषज्ञों का कहना है कि इसके संक्रमण को कोविड प्रोटोकॉल के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।
इस संबंध में एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ अनंत मोहन ने कहा कि हल्के निमोनिया से जीवन को कोई खतरा नहीं होता। इस स्थिति से पीड़ित लोग आमतौर पर घर पर ही ठीक हो सकते हैं। वायरल निमोनिया अक्सर घर पर इलाज से 1 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में, आपको एंटीवायरल दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। इसके सही इलाज के लिए लैब जांच जरूरी है जिससे पता चलता है कि मरीज एडिनोवायरस, राइनो वायरस, एच1एन1 वायरस इंफ्लुएंजा या कोविड 19 वायरस से संक्रमित है या किसी अन्य वायरस का असर है। एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसके लिए ध्यान देने और निवारक उपायों की जरुरत होती है।
उन्होंने बताया कि एच1एन1 इंफ्लुएंजा और कोविड 19 वायरस का इलाज तो आसान है। मगर एडिनोवायरस, राइनोवायरस और अन्य वायरस जोखिम बढ़ा देते हैं। यह कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में बहुत आम होता है। आरएमएल अस्पताल मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ रमेश मीणा ने बताया कि निमोनिया, फेफड़ों का संक्रमण है। यह आमतौर पर बैक्टीरियल और वायरल रूप में पाया जाता है।
डॉ मीणा ने बताया कि निमोनिया के कारण मरीज के फेफड़ों के ऊतकों में सूजन आ जाती है और उसके फेफड़ों में तरल पदार्थ या मवाद बन सकता है। वायरल संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जैसे कि आंतें, फेफड़े, या वायुमार्ग। बैक्टीरियल निमोनिया आमतौर पर वायरल निमोनिया से ज़्यादा गंभीर होता है, जो अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन बुखार खत्म होने के बाद भी बच्चों की खांसी कई सप्ताह तक बनी रह सकती है जिसे गर्म पानी की भाप से जल्दी दूर किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लंग सेंटर में थोरैसिक सर्जन, पल्मोनोलॉजिस्ट और इमेजिंग विशेषज्ञ जैसे कई विशेषज्ञ भी मौजूद होते हैं जो गंभीर स्थिति वाले मरीजों की विशेष देखभाल और इलाज करते हैं। डॉ मीणा के मुताबिक मधुमेह रोगी, अंग प्रत्यारोपण करा चुके वाले व्यक्ति, क्रोनिक किडनी रोग, हृदय रोग, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और सीओपीडी से पीड़ित व्यक्तियों को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। ये लोग निमोनिया के संक्रमण का सबसे आसान शिकार हो सकते हैं इसलिए हर साल टीका लगवाएं और अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें।
प्रसार
यह रोग खांसी और छींक से निकलने वाली बूंदों, दूषित सतहों के संपर्क में आने और संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से फैलता है।
लक्षण
इस रोग के लक्षणों में नाक बहना, गले में खराश, खांसी, बुखार (शरीर का तापमान 99°से 103.5°तक होना), सांस लेने में तकलीफ, ठंड व कंपकंपी, कम ऊर्जा, मांसपेशियों में दर्द एवं पसीना आना, भूख कम लगना और अत्यधिक थकान शामिल हैं।
बचाव
इसके संक्रमण से बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल सबसे ज्यादा कारगर है। किसी भी सतह को न छुएं। बार- बार हाथ धोएं। मुंह और नाक ढंकने वाले मास्क पहनें। लोगों से हाथ न मिलाएं। सामाजिक दूरी रखें। घर,दफ्तर और आसपास स्वच्छता रखें।
खतरे में कौन ?
निमोनिया संक्रमण होने की संभावना सबसे ज्यादा पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ज्यादा है।