
New Delhi : नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय ने नशीले पदार्थों और साइबर अपराध के बढ़ते गठजोड़ पर रोक लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य अनुसंधान, प्रशिक्षण और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाकर नशा तस्करी से निपटने के तरीकों को आधुनिक बनाना है।
क्या होगा इस साझेदारी से
एनसीबी और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय डार्कनेट पर चल रहे मादक पदार्थों के अवैध व्यापार, क्रिप्टोकरेंसी ट्रैकिंग और साइबर इंटेलिजेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में संयुक्त शोध और नवाचार करेंगे। इसके अलावा, एनसीबी अधिकारियों के लिए साइबर फॉरेंसिक, ब्लॉकचेन विश्लेषण, ओएसआईएनटी और बिहेवियरल प्रोफाइलिंग पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी विकसित किए जाएंगे।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना
इस साझेदारी के तहत ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबरक्राइम इन्वेस्टिगेशन एंड ड्रग इंटेलिजेंस’ की स्थापना की जाएगी, जो भविष्य के साइबर और नशा अपराधों की पहचान और रोकथाम के लिए एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र होगा।
एनसीबी महानिदेशक का बयान
एनसीबी महानिदेशक अनुराग गर्ग ने कहा कि यह सहयोग “ज्ञान आधारित प्रवर्तन प्रणाली” की दिशा में एक बड़ा कदम है, जहां अनुभव और शिक्षा का संयोजन नशे के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाएगा। उन्होंने आरआरयू से आग्रह किया कि अफीम और गांजे की फसलों के पर्यावरण-अनुकूल विनाश के लिए तकनीक विकसित की जाए।
आरआरयू कुलपति का बयान
आरआरयू के कुलपति प्रो. बिमल एन. पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को लेकर अपनी भूमिका को और मजबूत करेगा। यह समझौता भारत की नशे के खिलाफ जंग को परंपरागत कार्रवाई से आगे बढ़ाकर एक इंटेलिजेंस आधारित और तकनीक संचालित अभियान में बदलने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।